धारा ६३ : लोकायुक्त की स्थापना :
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम २०१३
भाग ३ :
लोकायुक्त की स्थापना :
धारा ६३ :
लोकायुक्त की स्थापना :
प्रत्येक राज्य, इस अधिनियम के प्रारंभ होने की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर कतिपय लोक कृत्यकारियों के विरूध्द भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों के संबंध में कार्रवाई करने के लिए, यदि ऐसे किसी निकाय को स्थापित, गठित या नियुक्त नहीं किया गया है राज्य विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा अपने राज्य के लिए लोकायुक्त के नाम से ज्ञात एक निकाय की स्थापना करेगा ।
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अनुसूची :
(धारा ५८ देखिए) :
कतिपय अधिनियमितियों का संशोधन :
भाग १ :
जांच आयोग अधिनियम, १९५२ का संशोधन
(१९५२ का ६०)
धारा ३ का संशोधन :
धारा ३ की उपधारा (१) में, समुचित सरकार शब्दों के स्थान पर जैसा लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, २०१३ में अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, समुचित सरकार शब्द और अंक रखे जाएंगे ।
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भाग २ :
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम, १९४६ का संशोधन (१९४६ का २५)
१)धारा ४क का संशोधन :
धारा ४ क में, -
एक)उपधारा (१) के स्थान पर, निम्नलिखित उपधारा रखी जाएगी, अर्थात् :-
१)केन्द्रीय सरकार, निम्नलिखित से मिलकर बनने वाली समिति की सिफरिश पर निदेशक की नियुक्ति करेगी, -
क)प्रधानमंत्री -अध्यक्ष;
ख)लोक सभा में विपक्ष का नेता - सदस्य
ग)भारत का मुख्य न्यायमुर्ति या उसके द्वारा नामनिर्दिष्ट उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश- सदस्य ।
दो)उपधारा (२) का लोप किया जाएगा ।
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२) नई धारा ४खक का अंत:स्थापन :
धारा ४ख के पश्चात् निम्नलिखित धारा अंत:स्थपित की जाएगी, अर्थात् :-
धारा ४खक :
अभियोजन निदेशक :
१)इस अधिनियम के अधीन मामलों के अभियोजन का संचालन करने के लिए एक अभियोजन निदेशालय होगा जिसका प्रमुख एक निदेशक होगा जो भारत सरकार के संयुक्त सचिव की पंक्ति से नीचे का अधिकारी नहीं होगा ।
२)अभियोजन निदेशक, निदेशक के समग्र अधीक्षण और नियंत्रण के अधीन कृत्य करेगा ।
३)केन्द्रीय सरकार, अभियोजन निदेशक की नियुक्ति केन्द्रीय सतर्कता आयोग की सिफारिश पर करेगी ।
४)अभियोजन निदेशक, उसकी सेवा शर्तों से संबंधित नियमों में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, उस तारीख से, जिसको वह अपना पद ग्रहण करता है, दो वर्ष से अन्यून अवधि तक अपना पद धारण करता रहेगा ।
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३) धारा ४ग का संशोधन :
धारा ४ग में, उपधारा (१) के स्थान पर निम्नलिखित उपधारा रखी जाएगी, अर्थात् :-
१)केन्द्रीय सरकार निम्नलिखित से मिलकर बनने वाली समिति की सिफारिश पर, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन में निदेशक के सिवाय, पुलिस अधीक्षक और ऊपर के स्तर के पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति करेगी और ऐसे अधिकारियों की सेवाधुति के विस्तारण या कम किए जाने की सिफारिश भी करेगी, -
क)केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त - अध्यक्ष;
ख)सतर्कता आयुक्त -सदस्य;
ग)गृह मंत्रालय का भारसाधक भारत सरकार का सचिव - सदस्य;
घ)कार्मिक विभाग का भारसाधक भारत सरकार का सचिव- सदस्य;
परंतु समिति, केन्द्रीय सरकार को अपनी सिफारिश प्रस्तुत करने से पूर्व निदेशक से परामर्श करेगी ।
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भाग ३ :
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, १९८८ का संशोधन (१९८८ का ४९)
१)धारा ७, धारा ८, धारा ९ और धारा १२ का संशोधन - धारा ७, धारा ८, धारा ९ और धारा १२ में, -
क)छह मास शब्दों के स्थान पर, क्रमश: तीन वर्ष शब्द रखे जाएंगे ;
ख)पांच वर्ष शब्दों के स्थान पर, क्रमश; सात वर्ष शब्द रखे जाएंगे ।
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२)धारा १३ का संशोधन - धारा १३ की उपधारा (२) में, -
क)एक वर्ष शब्दों के स्थान पर, चार वर्ष शब्द रखे जाएंगे;
ख)सात वर्ष शब्दों के स्थान पर, दस वर्ष शब्द रखे जाएंगे ।
३)धारा १४ का संशोधन - धारा १४ में ,-
क)दो वर्ष शब्दों के स्थान पर, पांच वर्ष शब्द रखे जाएंगे ।
ख)सात वर्ष शब्दों के स्थान पर, दस वर्ष शब्द रखे जाएंगे ।
४)धारा १५ का संशोधन - धारा १५ में जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी शब्दों के स्थान पर, जिसकी अवधि दो वर्ष से कम की नहीं होगी, किन्तु पांच वर्ष तक की हो सकेगी, शब्द रखे जाएंगे ।
५)धारा १९ का संशोधन - धारा १९ में, निम्नलिखित की पूर्व मंजूरी के बिना शब्दों के पूर्व, जैसा लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, २०१३ में अन्यथा उपबंधित है, उसके सिवाय शब्द और अंक अंत:स्थापित किए जाएंगे ।
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भाग ४ :
दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ का संशोधन (१९७४ का २)
धारा १९७ का संशोधन :
धारा १९७ में न्यायालय ऐसे अपराध का संज्ञान शब्दों के पश्चात् जैसा लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, २०१३ में अन्यथा उपबंधि है, उसके सिवाय शब्द और अंक, अत:स्थापित किए जाएंगे ।
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भाग ५ :
केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, २००३ का संशोधन (२००३ का ४५ )
१)धारा २ का संशोधन :
धारा २ के खंड (घ) के पश्चात्, निम्नलिखित खंड अंत:स्थापित किया जाएगा, अर्थात् :-
(घक) लोकपाल से लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, २०१३ की धारा ३ की उपधारा (१) के अधीन स्थापित लोकपाल अभिप्रेत है ।
२)धारा ८ का संशोधन :
धारा ८ उपधारा (२) के खंड (ख) के पश्चात्, निम्नलिखित खंड अंत:स्थापित किया जाएगा, अर्थात् :-
ग)लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, २०१३ की धारा २० की उपधारा (१) के परंतुक के अधीन लोकपाल द्वारा किए गए निर्देश पर,उपधारा (१) के खंड (घ) में निर्दिष्ट व्यक्तियों के अंतर्गत निम्नलिखित भी होंगे :-
एक)केन्द्रीय सरकार की समूह ख, समूह ग और घ सेवाओं के सदस्य;
दो)किसी केन्द्रीय अधिनियम द्वारा या उसके अधीन स्थापित निगमों, केन्द्रीय सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन सरकारी कंपनियों, सोसाइटियों और अन्य स्थानीय प्राधिकरणों के ऐसे स्तर के पदधारी या कर्मचारिवृंद जिनको वह सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे :
परंतु उस समय तक, जब तक इस खंड के अधीन कोई अधिसूचना जारी की जाती है, उक्त निगमों, कंपनियों, सोसाइटियों और स्थानीय प्राधिकरणों के सभी पदधारी या कर्मचारिवृंद को, उपधारा (१) के खंड (घ) में निर्दिष्ट व्यक्ति होना समझा जाएगा ।
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३)नई धारा ८ क और धारा ८ ख का अंत:स्थापन :
धारा ८ के पश्चात् निम्नलिखित धाराएं अंत:स्थापित की जाएंगी, अर्थात्:-
धारा ८क :
लोक सेवकों के संबंध में प्रारंभिक जांच पर कार्रवाई :
१)जहां, केन्द्रीय सरकार के समूह ग और समूह घ पदधारियों से संबंधित लोक सेवकों के भ्रष्टाचार से संबंधित प्रारंभिक जांच की समाप्ति के पश्चात् आयोग के निष्कर्षो से, लोक सेवक को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात् ऐसे लोक सेवक द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, १९८८ (१९८८ का ४९) के अधीन भ्रष्टाचार से संबंधित आचरण नियमों के प्रथमदृष्टया उल्लंघन का प्रकटन होता है, वहां आयोग, निम्नलिखित में से कोई एक या अधिक कार्रवाइयां किए जाने के लिए कार्यवाही करेगा, अर्थात् :-
क)यथास्थिति, किसी अभिकरण या दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन द्वारा अन्वेषण कराया जाना;
ख)समक्ष प्राधिकारी द्वारा संबंधित लोक सेवक के विरूध्द अनुशासनिक कार्यवाहियां या कोई अन्य समुचित
कार्रवाई आरंभ कराया जाना;
ग)लोक सेवक के विरूध्द कार्यवाहियों को बंद कराया जाना लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, २०१३ की धारा ४६ के अधीन शिकायतकर्ता के विरूध्द कार्यवाही का किया जाना ।
२)उपधारा (१) में निर्दिष्ट प्रत्येक प्रारंभिक जांच, साधारणतया, शिकायत की प्राप्ति की तारीख से नब्बे दिन के भीतर और ऐसे कारणों से, जो लेखबध्द किए जाएंगे, नब्बे दिन की अतिरिक्त अवधि के भीतर पूरी की जाएगी ।
धारा ८ख :
लोक सेवकों के संबंध में अन्वेषण पर कार्रवाई :
१) यदि, आयोग, धारा ८ क की उपधारा (१) के खंड (क) के अधीन शिकायत का अन्वेषण करने के लिए कार्यवाही किए जाने का विनिश्चय करता है तो वह किसी अभिकरण को (जिसके अंतर्गत दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन भी है ) यथासंभव शीघ्रता के साथ अन्वेषण करने और उसके आदेश की तारीख से छह मास की अवधि के भीतर अन्वेषण पूरा करने तथा आयोग को अपने निष्कर्षों के साथ अन्वेषण रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निदेश देगा :
परंतु आयोग उक्त अवधि को ऐसे कारणों से, जो लेखबध्द किए जाएंगे, छह मास की अतिरिक्त अवधि के लिए बढा सकेगा ।
२)दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) की धारा १७३ में किसी बात के होते हुए भी, कोई अभिकरण (जिसके अंतर्गत दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन भी है ) आयोग द्वारा उसको निर्दिष्ट किए गए मामलों के संबंध में आयोग को अन्वेषण रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा ।
३)आयोग, उपधारा (२) के अधीन किसी अभिकरण से (जिसके अंतर्गत दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन भी है ) उसको प्राप्त रिपोर्ट पर विचार करेगा और निम्नलिखित के बारे में विनिश्चय कर सकेगा :-
क)लोक सेवक के विरूध्द विशेष न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र या मामला बंद किए जाने की रिपोर्ट फाइल करना;
ख)सक्षम प्राधिकारी द्वारा संबंधित लोक सेवक के विरूध्द विभागीय कार्यवाहियां या कोई अन्य समुचित कार्रवाई आरंभ करना ।
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४)नई धारा ११क का अंत:स्थापन :
धारा ११ के पश्चात्, निम्नलिखित धारा अंत:स्थापित की जाएगी, अर्थात् :-
धारा ११क :
प्रारंभिक जांच करने के लिए जांच निदेशक :
१)एक जांच निदेशक होगा, जो भारत सरकार के संयुक्त सचिव की पंक्ति से नीचे का न हो, जिसको लोकपाल द्वारा आयोग को निर्दिष्ट प्रारंभिक जांच करने के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा ।
२)केन्द्रीय सरकार, जांच निदेशक को उतने अधिकारी तथा कर्मचारी उपलब्ध कराएगी जो इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों का निर्वहन करने के लिए अपेक्षित हों ।
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