सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेश १६ :
नियम १२ :
यदि साक्षी उपसंजात होने में असफल रहता है तो प्रक्रिया :
१.(१) जहां ऐसा व्यक्ति उपसंजात नहीं होता है या उपसंजात तो होता है किन्तु न्यायालय का समाधान करने में असफल रहता है वहां न्यायालय उसकी सांसारिक स्थिति और मामले की सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पांच सौ रुपए से अनधिक ऐसा जुर्माना उस पर अधिरोपित कर सकेगा जो वह ठीक समझे और इस प्रयोजन से कि यदि कोई युक्त जुर्माना हो तो उस जुर्माने की रकम के सहित ऐसी कुर्की के सभी खर्चों को चुकाया जो सके यह आदेश दे सकेगा कि उसकी सम्पत्ति या उसका कोई भाग कुर्क किया जाए और उसका विक्रय किया जाए या यदि वह पहले ही नियम १० के अधीन कुर्क किया जा चुका है तो उसका विक्रय किया जाए :
परन्तु यदि वह व्यक्ति जिसकी हाजिरी अपेक्षित है उक्त खर्चों और जुर्माने को न्यायालय में जमा कर देता है तो न्यायालय सम्पत्ति को कुर्की से निर्मुक्त किए जाने का आदेश देगा ।
२.(२) इस बात के होते हुए भी कि न्यायालय ने न तो नियम १० के उपनियम (२) के अधीन उद्घोषणा निकाली है, और न उस नियम के उपनियम (३) के अधीन वारंट निकाला है और न कुर्की का आदेश किया है, न्यायालय ऐसे व्यक्ति को यह हेतुक दर्शित करने के लिए सचूना देने के पश्चात् कि जुर्माना क्यों नहीं अधिरोपित किया जाना चाहिए, इस नियम के उपनियम (१) के अधीन जुर्माना अधिरोपित कर सकेगा ।
-------
१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ६६ द्वारा (१-२-१९७७ से) नियम १२ को उपनियम (१) के रुप में पुन:संख्याकित किया गया ।
२. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ६६ द्वारा (१-२-१९७७ से) अन्त:स्थापित ।
INSTALL Android APP
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।