गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम १९९४
धारा १६क :
१.(राज्य पर्यवेक्षण बोर्ड और संघ राज्यक्षेत्र पर्यवेक्षण बोर्ड का गठन :
(१) विधान-मंडल वाला प्रत्येक राज्य और संघ राज्यक्षेत्र, यथास्थिति, राज्य पर्यवेक्षण बोर्ड या संघ राज्यक्षेत्र पर्यवेक्षण बोर्ड के नाम से ज्ञात एक बोर्ड का गठन करेगा जिसके निम्नलिखित कृत्य होंगे:-
(एक) राज्य में गर्भधारणपूर्व लिंग चयन और गर्भ के लिंग का प्रसवपूर्व अवधारण करने की प्रथा के विरुद्ध, जिसके कारण स्त्रीलिंगी भ्रूण वध हो, लोक जागृति पैदा करना;
(दो) राज्य में कार्यरत समुचित प्राधिकारियों के क्रियाकलापों का पुनर्विलोकन करना और उनके विरुद्ध समुचित कार्रवाई की सिफारिश करना;
(तीन) अधिनियम और नियमों के उपबंधों के कार्यान्वयन को मानीटर करना और उनके संबंध में बोर्ड को उपयुक्त सिफारिशें करना;
(चार) अधिनियम के अधीन राज्य में किए गए विभिन्न क्रियाकलापों की बाबत बोर्ड और केन्द्रीय सरकार को ऐसी समेकित रिपोर्ट भेजना, जो विहित की जाएं : और
(पांच) ऐसे अन्य कृत्य, जो अधिनियम के अधीन विहित किए जाएं।
(२) राज्य बोर्ड निम्नलिखित से मिलकर बनेगा :
(क) राज्य में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण का भारसाधक मंत्री, जो पदेन अध्यक्ष होगा;
(ख) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग का भारसाधक सचिव, जो पदेन उपाध्यक्ष होगा;
(ग) महिला और बाल विकास, समाज कल्याण, विधि और आयुर्विज्ञान तथा होम्योपैथी की भारतीय पद्धति विभागों के भारसाधक पदेन सचिव या आयुक्त अथवा उनके प्रतिनिधि ;
(घ) राज्य सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण या आयुर्विज्ञान तथा होम्योपैथी की भारतीय पद्धति का पदेन निदेशक;
(ङ) विधान सभा या विधान परिषद की तीन महिला सदस्य;
(च) राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किए गए दस सदस्य, जिनमें से प्रत्येक दो निम्नलिखित प्रवर्गो से होंगे :-
(एक) विख्यात समाज विज्ञानी और विधि विशेषज्ञ ;
(दो) गैर सरकारी संगठनों से या अन्यथा विख्यात महिला सक्रियतावादी ;
(तीन) विख्यात स्त्री रोग विज्ञानी और प्रसूति विज्ञानी या स्त्री रोग या प्रसूति तंत्र के विशेषज्ञ ;
(चार) विख्यात बाल चिकित्सा या चिकित्सा आनुवंशिकी-विज्ञानी ;
(पांच) विख्यात विकिरण चिकित्सा विज्ञानी या सोनोलोजिस्ट ;
(छ) एक अधिकारी, जो परिवार कल्याण के भारसाधक संयुक्त निदेशक की पंक्ति से नीचे का न हो और जो पदेन सदस्य-सचिव होगा।
(३) राज्य बोर्ड की बैठक चार मास में कम से कम एक बार होगी।
(४) पदेन सदस्य से भिन्न किसी सदस्य की पदावधि तीन वर्ष की होगी।
(५) पदेन सदस्य से भिन्न किसी सदस्य के पद में रिक्ति होने की दशा में, उसे नई नियुक्ति करके भरा जाएगा।
(६) यदि विधान सभा का कोई सदस्य या विधान परिषद का कोई सदस्य, जो राज्य बोर्ड का सदस्य है. मंत्री या विधान सभा का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अथवा विधान परिषद का सभापति या उपसभापति हो जाता है तो वह राज्य बोर्ड का सदस्य नहीं रहेगा।
(७) राज्य बोर्ड की गणपूर्ति इसकी कुल सदस्य संख्या के एक-तिहाई से होगी।
(८) राज्य बोर्ड, जब कभी अपेक्षित हो, एक सदस्य को सहयोजित कर सकता है परन्तु सहयोजित सदस्यों की संख्या राज्य बोर्ड की कुल सदस्य संख्या के एक-तिहाई से अधिक नहीं होगी ।
(९) सहयोजित सदस्यों की, मताधिकार के सिवाय, वही शक्तियां और कृत्य होंगे जो अन्य सदस्यों के हैं और वे नियमों तथा विनियमों का पालन करेंगे।
(१०) उन विषयों के संबंध में, जो इस धारा में विनिर्दिष्ट नहीं हैं, राज्य बोर्ड उन्हीं प्रक्रियाओं तथा शर्तो का अनुसरण करेगा, जो बोर्ड को लागू है।)
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१. २००३ के अधिनियम सं० १४ की धारा १२ द्वारा अतःस्थापित ।
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