गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम १९९४
धारा ८ :
सदस्यों की पदावधि :
(१) पदेन सदस्य से भिन्न सदस्य की पदावधि -
(क) धारा ७ की उपधारा (२) के खंड (ङ) या खंड (च) के अधीन नियुक्ति की दशा में, तीन बर्ष होगी; १.(***)
२.(परंतु धारा ७ की उपधारा (२) के खंड (च) के अधीन निर्वाचित सदस्य की पदावधि, जैसे ही वह सदस्य, मंत्री या राज्य मंत्री या उप मंत्री अथवा लोक सभा की अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अथवा राज्य सभा की उप सभापति हो जाती है अथवा उस सदन की सदस्य नहीं रह जाती है, जिससे वह निर्वाचित की गई थी, समाप्त हो जाएगी; और)
(ख) उक्त उपधारा के खंड (छ) के अधीन नियुक्ति की दशा में, एक वर्ष होगी।
(२) यदि किसी अन्य सदस्य के पद में कोई आकस्मिक रिक्ति, चाहे वह उसकी मृत्यु, पदत्याग या रुग्णता अथवा अन्य असमर्थता के कारण अपने कृत्यों के निवर्हन में अयोग्यता के कारण होती है तो ऐसी रिक्ति, केन्द्रीय सरकार द्वारा नए सिरे से नियुक्ति करके भरी जाएगी और इस प्रकार नियुक्त सदस्य, उस व्यक्ति की, जिसके स्थान पर उसे ऐसे नियुक्त किया गया है, शेष पदावधि के लिए, पद धारण करेगा।
(३) उपाध्यक्ष ऐसे कृत्यों का पालन करेगा जो, समय-समय पर, अध्यक्ष द्वारा उसे सौंपे जाएं।
(४) सदस्यों द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया वह होगी, जो विहित की जाए।
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१. २००१ के अधिनियम सं० ३२ की धारा द्वारा लोप किया गया।
२. २००१ के अधिनियम सं० ३२ की धारा२ द्वारा अंत:स्थापित ।
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