धारा २८क : डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २८क : डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन : इस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही में न्यायालय द्वारा दी गई सभी डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन उसी प्रकार किया जाएगा जिस प्रकार उस न्यायालय द्वारा अपनी आरंभिक सिविल अधिकारिता के… more »
धारा २८ : १.(डिक्रियों और आदेशों की अपीलें :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २८ : १.(डिक्रियों और आदेशों की अपीलें : १) इस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही में न्यायालय द्वारा दी गई सभी डिक्रियां, उपधारा (३) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए उसी प्रकार अपीलनीय होंगी जैसे उस न्यायालय द्वारा अपनी आरम्भिक… more »
धारा २७ : सम्पत्ति का व्ययन :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २७ : सम्पत्ति का व्ययन : इस अधिनियम के अधीन होने वाली किसी भी कार्यवाही में, न्यायालय ऐसी सम्पत्ति के बारे में, जो विवाह के अवसर पर या उसके आसपास उपहार में दी गई हो और संयुक्ततः पति और पत्नी दोनों की हो, डिक्री में ऐसे… more »
धारा २६ : अपत्यों की अभिरक्षा :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २६ : अपत्यों की अभिरक्षा : इस अधिनियम के अधीन होने वाली किसी भी कार्यवाही में न्यायालय अप्राप्तव अपत्यों की अभिरक्षा, भरण-पोषण और शिक्षा के बारे में, यथासंभव उनकी इच्छा के अनुकूल, समय-समय पर ऐसे आदेश पारित कर सकेगा और… more »
धारा २५ : स्थायी निर्वाहिका और भरण-पोषण :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २५ : स्थायी निर्वाहिका और भरण-पोषण : (१) इस अधिनियम के अधीन अधिकारिता का प्रयोग कर रहा कोई भी न्यायालय, डिक्री पारित करने के समय या उसके पश्चात किसी भी समय, यथास्थिति, पति या पत्नी द्वारा इस प्रयोजन से किए गए आवेदन पर, यह… more »
धारा २४ : वाद लम्बित रहते भरण-पोषण और कार्यवाहियों के व्यय :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २४ : वाद लम्बित रहते भरण-पोषण और कार्यवाहियों के व्यय : जहां कि इस अधिनियम के अधीन होने वाली किसी कार्यवाही में न्यायालय को यह प्रतीत हो कि, यथास्थिति, पति या पत्नी की ऐसी कोई स्वतंत्र आय नहीं है जो उसके संभाल और कार्यवाही… more »
धारा २३क : १.(विवाह-विच्छेद और अन्य कार्यवाहियों में प्रत्यर्थी को अनुतोष :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २३क : १.(विवाह-विच्छेद और अन्य कार्यवाहियों में प्रत्यर्थी को अनुतोष : विवाह- विच्छेद या न्यायिक पृथक्करण या दाम्पत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन के लिए किसी कार्यवाही में प्रत्यर्थी अर्जीदार के जारकर्म, क्रूरता या अधित्यजन… more »
धारा २३ : कार्यवाहियों में डिक्री :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २३ : कार्यवाहियों में डिक्री : (१) यदि इस अधिनियम के अधीन होने वाली किसी कार्यवाही में, चाहे उसमें प्रतिरक्षा में की गई हो या नहीं, न्यायालय का समाधान हो जाए कि - (क) अनुतोष अनुदत्त करने के आधारों में से कोई न कोई आधार… more »
धारा २२ : १.( कार्यवाहियों का बन्द कमरे में होना और ...
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २२ : १.( कार्यवाहियों का बन्द कमरे में होना और उन्हें मुद्रित या प्रकाशित न किया जाना : १) इस अधिनियम के अधीन हर कार्यवाही बन्द कमरे में की जाएगी और किसी व्यक्ति के लिए ऐसी किसी कार्यवाही के सम्बन्ध में किसी बात को मुद्रित… more »
धारा २१ग : १.(दस्तावेजी साक्ष्य :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २१ग : १.(दस्तावेजी साक्ष्य : किसी अधिनियमिति में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी यह है कि इस अधिनियम के अधीन अर्जी के विचारण को किसी कार्यवाही में कोई दस्तावेज साक्ष्य में इस आधार पर अग्राह्य नहीं होगी कि वह सम्यक् रुप से… more »