धारा ३७ : डिक्री पारित करने वाले न्यायालय की परिभाषा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ३७ : डिक्री पारित करने वाले न्यायालय की परिभाषा : जब तक कि कोई बात, विषय या संदर्भ में विरुद्ध न हो, डिक्रियों के निष्पादन के सम्बन्ध में डिक्री पारित करने वाला न्यायालय पद के या उस प्रभाव वाले शब्दों के बारे में यह समझा… more »
धारा ३६ : आदेशों को लागू होना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ भाग २ : निष्पादन साधारण धारा ३६ : ३.(आदेशों को लागू होना : इस संहिता के डिक्रियों के निष्पादन से सम्बन्धित उपबन्धों के बारे में (जिनके अन्तर्गत डिक्री के अधीन संदाय से संबंधित उपबन्ध भी है) यही समझा जाएगा कि वे आदेशों के… more »
धारा ३५-ख : विलम्ब कारित करने के लिए खर्चा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ३५-ख : १.(विलम्ब कारित करने के लिए खर्चा : १) यदि किसी वाद की सुनवाई के लिए या उसमें कोई कार्यवाही करने के लिए नियत किसी तारीख को, वाद का कोई पक्षकार - क) कार्यवाही करने में, जो वह उस तारीख को इस संहिता द्वारा या इसके… more »
धारा ३५-क : मिथ्या या तंग करने वाले दावों या..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ३५-क : मिथ्या या तंग करने वाले दावों या प्रतिरक्षाओं के लिए प्रतिकरात्मक खर्चे : १) यदि किसी वाद में या अन्य कार्यवाही में २.(जिसके अन्तर्गत निष्पादन कार्यवाही आती है किन्तु ३.(अपील या पुनरीक्षण नहीं आता है)) कोई पक्षकार… more »
धारा ३५ : खर्चे :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ खर्चे धारा ३५ : १.(खर्चे : १) न्यायालय को, किसी वाणिज्यिक विवाद के संबंध में, तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि या नियम में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, यह अवधारण करने का विवेकाधिकार है कि:- क) क्या खर्चे एक पक्षकार… more »
धारा ३४ : ब्याज :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ ब्याज धारा ३४ : ब्याज : १) जहां और जहां तक कि डिक्री धन के संदाय के लिए है, न्यायालय डिक्री में यह आदेश दे सकेगा कि न्यायनिर्णीत मूल राशि पर किसी ऐसे ब्याज के अतिरिक्त जो ऐसी राशि पर वाद संस्थित किए जाने से पूर्व की किसी अवधि… more »
धारा ३३ : निर्णय और डिक्री :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ निर्णय और डीक्री धारा ३३ : निर्णय और डिक्री : न्यायालय मामले की सुनवाई हो चुकने के पश्चात् निर्णय सुनाएगा और ऐसे निर्णय के अनुसरण में डिक्री होगी । INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल… more »
धारा ३२ : व्यतिक्रम के लिए शास्ति :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ३२ : व्यतिक्रम के लिए शास्ति : न्यायालय किसी ऐसे व्यक्ति को जिसके नाम धारा ३० के अधीन समन निकाला गया है, हाजिर होने के लिए विवश कर सकेगा और उस प्रयोजन के लिए - क) उसकी गिरफ्तारी के लिए वारण्ट निकाल सकेगा ; ख) उसकी… more »
धारा ३१ : साक्षी को समन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ३१ : साक्षी को समन : धारा २७, धारा २८ और धारा २९ के उपबन्ध साक्ष्य देने या दस्तावेजों या अन्य भौतिक पदार्थों के पेश करने के लिए समनों को लागू होंगे । INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या… more »
धारा ३० : प्रकटीकरण और उसके..आदेश करने की शक्ति :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ३० : प्रकटीकरण और उसके सदृश बातों के लिए आदेश करने की शक्ति : ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए जो विहित की जाएं, न्यायालय किसी भी समय या तो स्वप्रेरणा से या किसी भी पक्षकार के आवेदन पर - क) ऐसे आदेश कर सकेगा जो… more »