नागरिकता अधिनियम १९५५
धारा ९ :
नागरिकता का पर्यवसान :
(१) भारत का कोई नागरिक जो किसी अन्य देश की नागरिकता देशीयकरण द्वारा, रजिस्ट्रीकरण द्वारा या अन्यथा स्वेच्छया अर्जित कर लेता है या जिसने २६ फरवरी, १९५० और इस अधिनियम के प्रारंभ के बीच किसी समय स्वेच्छया अर्जित कर ली है, वह, यथास्थिति, ऐसे अर्जन या ऐसे प्रारम्भ पर भारत का नागरिक न रह जाएगा:
परन्तु इस उपधारा की कोई भी बात भारत के ऐसे नागरिक को, जो किसी ऐसे युद्ध के दौरान, जिसमें भारत लगा हुआ हो, किसी अन्य देश की नागरिकता का अर्जन स्वेच्छया करता है, तब तक लागू नहीं होगी जब तक केन्द्रीय सरकार अन्यथा निदेश नहीं दे देती।
(२) यदि इस बारे में कोई प्रश्न उठता है कि क्या, कब कैसे १.(किसी भारत के नागरिक ने) किसी देश की नागरिकता अर्जित की है, तो उसका अवधारण ऐसे प्राधिकारी द्वारा, ऐसी नीति में और साक्ष्य के ऐसे नियमों का ध्यान रखते हुए किया जाएगा जैसे इस निमित्त विहित किए जाए।
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१. २००४ के अधिनियम सं० ६ की धारा ९ द्वारा प्रतिस्थापित ।
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