दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३
अध्याय ३७ :
प्रकीर्ण :
धारा ४७९ :
वह मामला जिसमें न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट वैयक्तिक रुप से हितबद्ध है :
कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट किसी ऐसे मामले का, जिसमें वह पक्षकार है, या वैयक्तिक रुप से हितबद्ध है, उस न्यायालय की अनुज्ञा के बिना, जिसमें उसके न्यायालय से अपील होती है न तो विचारण करेगा और न उसे विचारणार्थ सुपुर्द करेगा और न कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट अपने द्वारा पारित या किए गए निर्णय या आदेश की अपील ही सुनेगा ।
स्पष्टीकरण :
कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट किसी मामले में केवल इस कारण से कि वह उससे सार्वजनिक हैसियत में संबद्ध है या केवल इस कारण से कि उसने उस स्थान का, जिसमें अपराध का होना अभिकथित है, या किसी अन्य स्थान का, जिसमें मामलो के लिए महत्वपूर्ण किसी अन्य संव्यवहार का होना अभिकथित है, अवलोकन किया है और उस मामले के संबंध में जाँच की है इस धारा के अर्थ में पक्षकार या वैयक्ति रुप से हितबद्ध न समझा जाएगा ।
Code of Criminal Procedure 1973 in Hindi section 479.
section 479 Cr.P.C 1973 in hindi,crpc 1973 section 479 in hindi .
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