ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४०
धारा १९ :
अभिवाक :
(१) इस धारा में इसके पश्चात यथा उपबंधित के सिवाय, इस अध्याय के अधीन किसी अभियोजन में केवल यह सिद्ध करना कोई प्रतिरक्षा नहीं होगी कि जिस औषधि १.(प्रसाधन सामग्री) के बारे में अपराध किया गया है उस ओषधि के प्रकार, पदार्थ या क्वालिटी से या उसके विनिर्माण या आयात की परिस्थितियों से अभियुक्त अनभिज्ञ था, या कि क्रेता पर उस विक्रय द्वारा इसलिए कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि उसने उसे केवल परख या विश्लेषण के लिए खरीदा था।
(२) २.(धारा १८ के प्रयोजनों के लिए किसी औषधि का मिथ्या छाप वाली या ३.(अपमिश्रित या नकली) या मानक क्वालिटी से निम्न होना अथवा किसी प्रसाधन सामग्री का मिथ्या छाप वाली या मानक क्वालिटी से निम्न होना केवल इस बात के कारण न समझा जाएगा कि -
(क) उसमें कोई अनपकारी पदार्थ या संघटक इस कारण मिलाया गया है कि वह उस ओषधि ४.(या प्रसाधन सामग्री) को ऐसी वाणिज्यिक वस्तु के रूप में, जो वहन या उपभोग के लिए उपयुक्त दशा में हो, विनिर्मित या तैयार करने के लिए अपेक्षित है किन्तु जो उस औषधि या प्रसाधन सामग्री के प्रपुंज वजन या मात्रा को बढ़ाने के लिए अथवा उसकी घटिया क्वालिटी या अन्य त्रुटियों को छिपाने के लिए नहीं है ; या
५.(***)
(ख) विनिर्माण, तैयारी या प्रवहण की प्रक्रिया में कोई बाह्य पदार्थ उसके साथ अपरिहार्य रूप में अन्तर्मिश्रित हो चुका है; परन्तु यह खंड ओषधि ४.(या प्रसाधन सामग्री) के किसी ऐसे विक्रय या वितरण के बारे में लागू नहीं होगा, जो ऐसे अंतर मिश्रण से विक्रेता या वितरणकर्ता के अवगत हो जाने के पश्चात होता है।
६.(३) कोई व्यक्ति जो किसी औषधि या प्रसाधन सामग्री का विनिर्माता अथवा उसके वितरण के लिए उसका अभिकर्ता नहीं है धारा १८ के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार उस दशा में नहीं होगा जिसमें वह साबित कर देता है -
(क) कि उसने उस औषधि या प्रसाधन सामग्री का अर्जन उसके सम्यक रूप से अनुज्ञप्त विनिर्माता, वितरक या व्यवहारी से किया है ;
(ख) कि वह यह नहीं जानता था और युक्तियुक्त तत्परता से अभिनिश्चित नहीं कर सकता था कि वह ओषधि या प्रसाधन सामग्री किसी प्रकार उस धारा के उपबंध का उल्लंघन करती है; और
(ग) कि वह औषधि या प्रसाधन सामग्री जब उसके कब्जे में थी तब उचित रूप से भंडारकृत थी और उसी दशा में रही जिसमें वह तब थी जब उसने उसका अर्जन किया था।)
--------
१. १९६२ के अधिनियम सं० २१ की धारा १५ द्वारा (२७-७-१९६४ से) अंत:स्थापित।
२. १९६४ के अधिनियम सं० १३ की धारा १५ द्वारा (१५-९-१९६४ से) कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित।
३. १९८२ के अधिनियम सं० ६८ की धारा १६ द्वारा (१-२-१९८३ से) अपमिश्रित के स्थान पर प्रतिस्थापित।
४. १९६२ के अधिनियम सं० २१ की धारा १५ द्वारा (२७-७-१९६४ से) अंत:स्थापित।
५. १९५५ के अधिनियम सं० ११ की धारा १० द्वारा अन्त:स्थापित खण्ड (कक) का १९६४ के अधिनियम से १३ की धारा १५ द्वारा (१५-९-१९६४ से) लोप किया गया।
६. १९६४ के अधिनियम सं० १३ की धारा १५ द्वारा (१५-९-१९६४ से) उपधारा (३) क स्थान पर प्रतिस्थापित।
INSTALL Android APP
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।