ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४०
धारा ३२ :
अपराधों का संज्ञान :
(१) १.(इस अध्याय के अधीन कोई अभियोजन निम्नलिखित द्वारा संस्थित किए जाने के सिवाय संस्थित नहीं किया जाएगा-
(क) निरीक्षक ; या
(ख) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार का कोई ऐसा राजपत्रित अधिकारी जिसे केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा, लिखित रूप में, इस निमित्त उस सरकार द्वारा किए गए साधारण या विशेष आदेश द्वारा, प्राधिकृत किया गया हो; या
(ग) व्यथित व्यक्ति ; या
(घ) मान्यताप्राप्त उपभोक्ता संगम, चाहे ऐसा व्यक्ति उस संगम का सदस्य है या नहीं।
(२) इस अधिनियम में जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, सेशन न्यायालय से अवर कोई न्यायालय इस अध्याय के अधीन दंडनीय किसी अपराध का विचारण नहीं करेगा।)
(३) इस अध्याय में अन्तर्विष्ट कोई बात किसी व्यक्ति का किसी ऐसे कार्य या लोप के लिए, जो इस अध्याय के खिलाफ अपराध बनता है, किसी अन्य विधि के अधीन अभियोजन निवारित करने वाली नहीं समझी जाएगी।
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१. २००८ के अधिनियम सं० २६ की धारा १२ द्वारा प्रतिस्थापित।
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