हिंदू विवाह अधिनियम १९५५
व्यावृत्तियां और निरसन :
धारा २९ :
व्यावृत्तियां :
(१) इस अधिनियम के प्रारंभ के पूर्व हिन्दुओं के बीच, अनुष्ठापित ऐसा विवाह, जो अन्यथा विधिमान्य हो, केवल इस तथ्य के कारण, अविधिमान्य या कभी अविधिमान्य रहा हुआ न समझा जाएगा कि उसके पक्षकार एक ही गोत्र या प्रवर के थे अथवा, विभिन्न धर्मों, जातियों या एक ही जाति की विभिन्न उपजातियों के थे ।
(२) इस अधिनियम में अंतर्विष्ट कोई भी बात रूढि से मान्यताप्राप्त या किसी विशेष अधिनियमिति द्वारा प्रदत्त किसी ऐसे
अधिकार पर प्रभाव डालने वाली न समझी जाएगी जो किसी हिन्दू विवाह का वह इस अधिनियम के प्रारंभ के चाहे पूर्व अनुष्ठापित हुआ हो चाहे पश्चात, विघटन अभिप्राप्त करने का अधिकार हो ।
(३) इस अधिनियम में अन्तर्विष्ट कोई भी बात तत्समय-प्रवृत्त किसी विधि के अधीन होने वाली किसी ऐसी कार्यवाही पर प्रभाव न डालेगी जो किसी विवाह को बातिल और शून्य घोषित करने के लिए या किसी विवाह को बातिल अथवा विघटित करने के लिए या न्यायिक पृथक्करण के लिए हो और इस अधिनियम के प्रारंभ पर लम्बित हो और ऐसी कोई भी कार्यवाही चलती रहेगी और अवधारित की जाएगी मानो यह अधिनियम पारित ही न हुआ हो।
(४) इस अधिनियम में अन्तर्विष्ट कोई भी बात विशेष विवाह अधिनियम, १९५४ ( १९५४ का ४३) में अन्तर्विष्ट किसी ऐसे उपबन्ध पर प्रभाव न डालेगी जो हिन्दुओं के बीच उस अधिनियम के अधीन, इस अधिनियम के प्रारंभ के चाहे पूर्व चाहे पश्चात अनुष्ठापित विवाहों के संबंध में हो।
#HinduMarriageAct1955Hindi #हिंदूविवाहअधिनियम१९५५धारा२९
#HinduMarriageAct1955Hindisection29 #section29HinduMarriageAct1955Hindi
INSTALL Android APP
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।