भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२
अध्याय २ :
तथ्यों की सुसंगति के विषय में :
धारा ५ :
विवाद्यक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों को साक्ष्य दिया जा सकेगा :
किसी वाद या कार्यवाही में हर विवाद्यक तथ्य के और ऐसे अन्य तथ्यों के, जिन्हें एतस्मिन् पश्चात् सुसंगत घोषित किया गया है, अस्तित्व या अनस्तित्व का साक्ष्य दिया जा सकेगा और किन्हीं अन्यों का नहीं ।
स्पष्टीकरण :
यह धारा किसी व्यक्ति को ऐसे तथ्य का साक्ष्य देने के लिए योग्य नहीं बनाएगी, जिससे सिविल प्रक्रिया से संबंधित किसी तत्समय प्रवृत्त विधि के किसी उपबंध द्वारा वह साबित करने से निर्हकित (हक से वंचित करना ) कर दिया गया है ।
दृष्टांत :
क)बी की मृत्युकारित करने के आशय से उसे लाठी मारकर उसकी हत्या कारित करने के लिए ऐ का विचारण किया जाता है ।
ऐ के विचारण में निम्नलिखित तथ्य विवाद्य है :-
ऐ का बी को लाठी से मारना;
ऐ का ऐसी मार द्वारा बी की मृत्यु कारित करना;
बी की मृत्यु कारित करने का ऐ का आशय ।
ख)एक वादकर्ता अपने साथ वह बंधपत्र, जिस पर वह निर्भर करता है, मामले की पहली सुनवाई पर अपने साथ नहीं लाता और पेश करने के लिए तैयार नहीं रखता । यह धारा उसे इस योग्य नहीं बनाती कि सिविल प्रक्रिया संहिता द्वारा विहित (नियमां द्वारा प्रतिपादित करना ।) शर्तों के अनुकूल वह उस कार्यवाही के उत्तरवर्ती (पश्चात का) प्रक्रम (अवस्था / मंजिल ) में उस बंदपत्र को पेश कर सके या उसकी अंतर्वस्तु (वह जो समाहित है ) को साबित कर सके ।
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