भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
धारा ८४ :
विकृत्तचित्त (अस्वस्थ मस्तिष्क / मनोविकल) व्यक्ति का कार्य :
जब कोई बात जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है, जो उसे करते समय चित्त - विकृति के (अस्वस्थ मस्तिष्क) के कारण उस कार्य की प्रकृति, या यह कि जो कुछ वह कर रहा है वह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकृल है, यह जानने में असमर्थ है; तब वह अपराध नही हैं ।
#Ipc 1860 in Hindi section 84
#Section 84 of Indin Penal Code 1860 Hindi
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