मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १६१ :
टक्कर मार कर भागने संबंधी मोटर दुर्घटना के मामले में प्रतिकर के बारे में विशेष उपबंध :
१)इस धारा, धारा १६२ धारा १६३ के प्रयोजनों के लिए ,-
क) घोर उपहति का वही अर्थ होगा जो भारतीय दंड संहिता (१८६० का ४५) में उसका है ;
ख)टक्कर मार कर भागने संबंधी मोटर दुर्गटना से ऐसे मोटर यान या मोटर यानों के उपयोग से उद्भूत दुर्घटना अभिप्रेत है, जिनकी पहचान इस प्रयोजन के लिए युक्तियुक्त प्रयत्न करने के बाद भी अभिनिश्चित नहीं की जा सकती है;
ग)स्कीम से धारा १६३ के अधीन बनाई गई स्कीम अभिप्रेत है ।
२)साधारण बीमा कारबार (राष्ट्रीयकरण ) अधिनियम, १९७२ (१९७२ का ५७) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि या विधि का बल रखने वाली किसी बात के होते हुए भी, उक्त अधिनियम की धारा ९ के अधीन बनाया गया भारतीय साधारण बीमा निगम और तत्समय भारत में साधारण बीमा कारबार करने वाली बीमा कंपनियां टक्कर मारकर भागने संबंधी मोटर दुर्घटना से उद्भूत किसी व्यक्ति की मृत्यु या घोर उपहति के बारे में प्रतिकर का, इस अधिनियम और स्कीम के उपबंधों के अनुसार, संदाय करने के लिए उपबंध करेगी ।
३)इस अधिनियम और स्कीम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, -
क)टककर मार कर भागने संबंधी मोटर दुर्घटना के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु के बारे में १.(पच्चीस हजार रूपए) की नियत राशि का:
ख)टक्कर मार कर भागने संबंधी मोटर दुर्घटना के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की घोर उपहति के बारे में १.(बारह हजार पांच सौ रूपए) की नियत राशि का,
प्रतिकर के रूप में संदाय किया जाएगा ।
४)धारा १६६ की उपधारा (१) के उपबंध इस धारा के अधीन प्रतिकर के लिए आवेदन करने के प्रयोजन के लिए वैसे ही लागू होंगे जैसे वे उस उपधारा में निर्दिष्ट प्रतिकर के लिए आवेदन करने के प्रयोजन के लिए लागू होते हैं ।
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१.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ५० द्वारा प्रतिस्थापित ।
#Motor Vehicles Act 1988 Hindi section 161 #MVActHindi Section 161
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