भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८
धारा १७क :
१.(लाके सेवक द्वारा उसके शासकीय कृत्यों या कर्तव्यों के निर्वहन में की गई सिफारिशों या लिए गए विनिश्चय के संबंध में अपराधों की जांच या पूछताछ या अन्वेषण :
१) कोई पुलिस अधिकारी निम्नलिखित के पूर्वानुमोदन के बिना किसी ऐसे अपराध में कोई जांच या पूछताछ या अन्वेषण नहीं करेगा, जिसे इस अधिनियम के अधीन लोक सेवक द्वारा अभिकथित रुप से कारित किया गया है, जहां ऐसा अभिकथित अपराध लोक सेवक द्वारा उसके शासकीय कृत्यों या कर्तव्यों के निर्वहन में की गई सिफारिशों या लिए गए विनिश्चय से संबंधित है,-
क) ऐसे व्यक्ति की दशा में, जो उस समय जब वह अपराध अभिकथित रुप से किया गया हो, संघ के कार्यो के संबंध में नियोजित है या था, उस सरकार के;
ख) ऐसे व्यक्ति की दशा में जो उस समय जब वह अपराध अभिकथित रुप से किया गया हो, किसी राज्य के कार्यो के संबंध में नियोजित है या था, उस सरकार के;
ग) किसी अन्य व्यक्ति की दशा में, उस समय जब वह अपराध अभिकथित रुप से किया गया हो, उसे उसके पद से हटाने के लिए सक्षम प्राधिकारी के :
परन्तु ऐसा कोई अनुमोदन किसी व्यक्ति को अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए असम्यक् लाभ प्रतिग्रहीत करने या प्रतिगृहीत करने का प्रयत्न करने के आरोप पर घटनास्थल पर ही गिरफ्तार करने संबंधी मामले में आवश्यक नहीं होगा :
परंतु यह और कि संबद्ध प्राधिकारी इस धारा के अधीन अपने विनिश्चय की सूचना तीन मास की अवधि के भीतर देगा, जिसे लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से उस प्राधिकारी द्वारा एक मास की और अवधि के लिए बढाया जा सकेगा ।)
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१. सन २०१८ का अधिनियम क्रमांक १६ की धारा १२ द्वारा १७ के पश्चात अंत:स्थापित ।
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