भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८
धारा २१ :
अभियुक्त व्यक्ति का सक्षम साक्षी होना :
इस अधिनियम के अधीन दंडनीय अपराध से आरोपित कोई व्यक्ति प्रतिरक्षा पक्ष के लिए सक्षम साक्षी होगा और वह अपने विरूध्द या उसी विचार में अपने साथ आरोपित किसी व्यक्ति के विरूध्द किए गए आरोपों को साबित करने के लिए शपथ पर साक्ष्य दे सकेगा :
परतुं -
क) साक्षी के रूप में वह अपनी प्रार्थना पर के सिवाय आहूत नहीं किया जाएगा ;
ख) साक्ष्य देने में उसकी असफलता पर अभियोजन पक्ष कोई टीका- टिप्पणी नहीं करेगा अथवा इससे उसके या उसी विचारण में उसके साथ आरोपित किसी व्यक्ति के विरूध्द कोई उपधारणा उत्पन्न नहीं होगी ;
ग)कोई ऐसा प्रश्न जिसकी प्रवृत्ति यह दर्शित करने की है कि जिस अपराध का आरोप उस पर लगाया गया है उससे भिन्न, अपराध उसने किया है या वह उसके लिए सिध्ददोष हो चुका है, या वह बुरे चरित्र का है, उससे उस दशा में के सिवाय न पूछा जाएगा या पूछे जाने पर उसका उत्तर देने की उससे अपेक्षा नहीं की जाएगी जिसमें -
१)इस बात का सबूत कि उसने ऐसा अपराध किया है या उसके लिए वह सिध्ददोष हो चुका है, यह दर्शित करने के लिए ग्राह्य साक्ष्य है कि वह उस अपराध का दोषी है जिसका आरोप उस पर लगाया गया है , या
२)उसने स्वयं या अपने प्लीडर द्वारा अभियोजन पक्ष के किसी साक्षी से अपना अच्छा चरित्र सिध्द करने की दृष्टि से कोई प्रश्न पूछा है या अपने अच्छे चरित्र का साक्ष्य दिया है अथवा प्रतिरक्षा का स्वरूप या संचालन इस प्रकार का है कि उसमें अभियोजक के या अभियोजन पक्ष के लिए किसी साक्षी के चरित्र पर लाछन अंतर्गत है, या
३)उसने उसी अपराध से आरोपित किसी अन्य व्यक्ति के विरूध्द साक्ष्य दिया है ।
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