बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम २००६
धारा ४ :
बाल-विवाह के बंधन में आने वाली महिला पक्षकार के भरण-पोषण और निवास के लिए उपबंध :
१)धारा ३ के अधीन डिक्री प्रदान करते समय, जिला न्यायालय बाल-विवाह के बंधन में आने वाले पुरूष पक्षकार को और यदि ऐसे विवाह के बंधन में आने वाला पुरूष पक्षकार अवयस्क है, तो उसके माता-पिता या सरंक्षक को, विवाह के बंधन में आने वाली महिला पक्षकार को, उसके पुनर्विवाह तक, भरण पोषण का संदायकरने के लिए निदेश देते हुए अंतरिम या अंतिम आदेश भी कर सेकगा ।
२)संदेय भरण-पोषण की मात्रा का अवधारण जिला न्यायालय द्वारा, बालक की आवश्यकताओं, अपने विवाह के दौरान ऐसे बालक द्वारा भोगी गई जीवन शैली और संदाय करने वाले पक्षकार की आय के साधनों का ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।
३)भरण-पोषण की रकम का मासिक या एकमुश्त राशि के रूप में संदाय करने का निदेश दिया जा सकेगा ।
४)यदि धारा ३ के अधीन अर्जी देने वाला पक्षकार विवाह के बंधन में आने वाली महिला पक्षकार है तो जिला न्यायालय उसके पुनर्विवाह तक उसके निवास के लिए उपयुक्त आदेश भी कर सकेगा ।
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