सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
अभिवचन :
प्ररुप संख्यांक ३७ :
लोक न्यूसेन्स :
(शीर्षक)
उक्त वादी क ख यह कथन करता है कि -
१. प्रतिवादी ने ---------- की लोक सडक पर, जो -------- गली के नाम से ज्ञात है, मिट्टी और पत्थर का ढेर दोषपूर्वक ऐसे लगा दिया है कि उस सडक पर लोगों को आने-जाने में बाधा पडती है और वह यह धमकी दे रहा है कि उसका यह आशय है कि जब तक उसे एसा करने से अवरुद्ध नहीं किया जाता है वह उक्त दोषपूर्ण कार्य को चालू रखेगा और उसे दुहराता रहेगा ।
१.(*२. वादी ने न्यायालय की इजाजत इस वाद को संस्थित करने के लिए अभिप्राप्त कर ली है ।
*जहां वाद महाधिवक्ता द्वारा संस्थित किया जाता है वहां पर यह लागू नहीं है ।)
(जैसा प्ररुप संख्यांक १ के पैरा ४ और ५ में है ।)
५. वादी यह दावा करता है कि -
१) यह घोषणा की जाए कि प्रतिवादी उक्त लोक सडक पर लोगों के आने-जाने में बाधा डालने का हकदार नहींं है ;
२) उक्त लोक सडक पर लोगों के आने-जाने में बाधा डालने से प्रतिवादी को अवरुद्ध करने वाला और पूवोक्त रुप से दोषपूर्वक इकट्ठी की गई मिट्टी और पत्थरों को हटाने के लिए प्रतिवादी को निदेश देने वाला व्यादेश निकाला जाए ।
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१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ९३ द्वारा (१-२-१९७७ से) पैरा २ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
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