सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
अभिवचन :
प्ररुप संख्यांक ३६ :
न्यूसेंस रोकने के लिए व्यादेश :
(शीर्षक)
उक्त वादी क ख यह कथन करता है कि -
१. वादी (कलकत्ता की ------------ स्ट्रीट के ----------- संख्यांक वाले गृह) का आत्यन्तिक स्वामी है और इसमें आगे उल्लिखित सब समयों पर था ।
२. प्रतिवादी (उसी ------- स्ट्रीट में एक भू-खण्ड) का आत्यन्तिक स्वामी है और उक्त सब समयों पर था ।
३. ता. ------------- को प्रतिवादी ने अपने उक्त भू-खण्ड में एक वधशाला निर्मित की और उसे वह अब भी बनाए हुए है और उस दिन से आज तक वह बराबर वहां ढोर मंगवा कर उन्हें मरवा डालता है (और रक्त और ओझडी को वादी के उक्त गृह के सामने वाली गली में qफकवा देता है ।)
(४. परिणामत: वादी उक्त गृह का परित्याग करने के लिए विवश हो गया है और उसे भाटक नहीं उठा सका है ।)
५. (कब वाद-हेतुक उत्पन्न हुआ था और किस न्यायालय की अभिकारिता है, को दर्शाने वाले तथ्य -------- )
६. अधिकारिता के प्रयोजन के लिए वाद की विषय-वस्तु का मूल्य ------- रुपए है और न्यायालय फीस के प्रयोजन के लिए ------ रुपए है ।
७. वादी दावा करता है कि प्रतिवादी को और न्यूसेन्स करने या करने देने से व्यादेश द्वारा अवरुद्ध किया जाए ।
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