सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
अभिवचन :
प्ररुप संख्यांक ३५ :
दुव्र्यय रोकने के लिए व्यादेश :
(शीर्षक)
उक्त वादी क ख यह कथन करता है कि -
१. वादी (सम्पत्ति का वर्णन कीजिए) का आत्यन्तिक स्वामी है ।
२. प्रतिवादी का उस पर कब्जा वादी से लिए गए पट्टे के अधीन है ।
३. प्रतिवादी ने वादी की सहमति के बिना (विक्रय के प्रयोजन के लिए कई मुल्यवान वृक्ष काट डाले है और अन्य बहुत से काट डालने की धमकी दे रहा है ।)
(जैसा प्ररुप सं. १ के पैरा ४ और ५ में है ।)
४. (कब वाद-हेतुक उत्पन्न हुआ था और किस न्यायालय की अभिकारिता है, को दर्शान वाले तथ्य -------- )
५. अधिकारिता के प्रयोजन के लिए वाद की विषय-वस्तु का मूल्य ----------- रुपए है और न्यायालय फीस के प्रयोजन के लिए --------- रुपए है ।
६. वादी यह दावा करता है कि प्रतिवादी को उक्त परिसर में कोई अतिरिक्त दुव्र्यय करने या करने देने से व्यादेश द्वारा अवरुद्ध किया जाए ।
(धन के रुप में प्रतिकर का भी दावा किया जा सकता है ।)
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