सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
अभिवचन :
प्ररुप संख्यांक ३४ :
संविदा का भूल के आधार पर विखण्डन :
(शीर्षक)
उक्त वादी क ख यह कथन करता है कि -
१. ता. ---------- को प्रतिवादी ने वादी से व्यपदिष्ट किया कि अमुक भू-खण्ड, जो प्रतिवादी का है और ------- ------- में स्थित है (दस बीघे) का है ।
२. इससे वादी उसे ------------ रुपए की कीमत पर इस विश्वास पर खरीदने के लिए उत्प्रेरित हो गया कि उक्त व्यपदेशन सत्य है और उसने एक करार पर हस्ताक्षर किए जिसकी मूल प्रति इसके साथ उपाबद्ध है । किन्तु भूमि उसे अन्तरित नहीं की गई है ।
३. ता. ---------- को वादी ने प्रतिवादी को क्रयधन के भाग रुप ----------- रुपए दे दिए ।
४. उक्त भू-खण्ड वास्तव में केवल (पांच बीघे) का है ।
(जैसा प्ररुप सं. १ के पैरा ४ और ५ में है ।)
५. (कब वाद-हेतुक उत्पन्न हुआ था और किस न्यायालय की अभिकारिता है, को दर्शाने वाले तथ्य ---------)
६. अधिकारिता के प्रयोजन के लिए वाद की विषय-वस्तु का मूल्य ------- रुपए है और न्यायालय फीस के प्रयोजन के लिए --------- रुपए है ।
७. वादी यह दावा करता है कि -
१) ता. ------------ से ब्याज सहित ----------- रुपए दिलाए जाएं ;
२) उक्त करार लौटाया जाए और रद्द कर दिया जाए ।
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