सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
अभिवचन :
प्ररुप संख्यांक ३३ :
कपटी विक्रेता और उसकी सूचना सहित अन्तरिती के विरुद्ध :
(शीर्षक)
उक्त वादी क ख यह कथन करता है कि -
१. ता. ------------ को प्रतिवादी ग घ ने वादी को उसे कुछ माल बेचने के लिए उत्प्रेरित करने के प्रयोजन से वादी से यह व्यपदिष्ट किया कि (वह शोधक्षम है और उसकी उसके सब दायित्वों से ---------- रुपए अधिक की मालियत है ।)
२. इससे वादी ग घ को (चाय के एक सौ बक्से) बेचने और उनका परिदान करने के लिए उत्प्रेरित हुआ । इनका प्राक्कलित मूल्य --------- रुपए है ।
३. उक्त व्यपदेशन मिथ्या थे और ग घ को उनका मिथ्या होना तब ज्ञात था (या उक्त व्यपदेशन करने के समय, ग घ दिवालिया था और वह अपनी यह स्थिति जानता था ।)
४. ग घ ने तत्पश्चात् उक्त माल प्रतिवादी च छ को किसी प्रतिफल के बिना (या च छ को जिसे व्यपदेशन के मिथ्या होने की सूचना थी), अन्तरित कर दिया ।
(जैसा प्ररुप सं. १ के पैरा ४ और ५ में है ।)
५. (कब वाद-हेतुक उत्पन्न हुआ था और किस न्यायालय की अधिकारिता है, को दर्शाने वाले तथ्य --------- )
६. अधिकारिता के प्रयोजन के लिए वाद की विषय-वस्तु का मूल्य --------- रुपए है और न्यायालय फीस के प्रयोजन के लिए ---------- रुपए है ।
७. वादी यह दावा करता है कि -
१) उक्त माल का परिदान कराया जाए, या यदि उसका परिदान नहीं कराया जा सकता तो ------ रुपए दिलाए जाएं ।
२) उस माल को रोक रखने के प्रतिकरस्वरुप --------- रुपए दिलाए जाए ।
INSTALL Android APP
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।