सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५
धारा १० :
अपराध का दुष्प्रेरण :
जो कोई इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का दुष्प्रेरण करेगा, वह उस अपराध के लिए उपबन्धित दण्ड से दण्डनीय होगा।
१.(स्पष्टीकरण :
लोक सेवक के बारे में, जो इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के अन्वेषण में जानबूझकर उपेक्षा करता है, यह समझा जाएगा कि उसने इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण किया है।)
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१.१९७६ के अधिनियम सं० १०६ की धारा १२ द्वारा (१९-११-१९७६ मे) अन्तःस्थापित।
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