सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५
धारा ४ :
सामाजिक निर्योग्यताएं लागू करने के लिए दण्ड :
जो कोई किसी व्यक्ति के विरुद्ध निम्नलिखित के सम्बन्ध में कोई निर्योग्यता अस्पृश्यता के आधार पर लागू करेगा वह कम से कम एक मास और अधिक से अधिक छह मास की अवधि के कारावास से और ऐसे जुर्माने से भी, जो कम से कम एक सौ रुपए और अधिक से अधिक पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा, -
(एक) किसी दुकान, लोक उपाहार-गृह, होटल या लोक मनोरंजन-स्थान में प्रवेश करना; अथवा
(दो) किसी लोक उपाहार-गृह, होटल, धर्मशाला, सराय या मुसाफिरखाने में, जनसाधारण या १.(उसके किसी विभाग के) व्यक्तियों के, जिसका वह व्यक्ति हो, उपयोग के लिए रखे गए किन्हीं बर्तनों और अन्य वस्तुओं का उपयोग करना; अथवा
(तीन) कोई वृत्ति करना या उपजीविका, २.(या किसी काम में नियोजन); अथवा
(चार) ऐसी किसी नदी, जलधारा, जलस्रोत, कुएं, तालाब, हौज, पानी के नल या जल के अन्य स्थान का या किसी स्नान घाट, कब्रिस्तान या श्मशान, स्वच्छता सम्बन्धी सुविधा, सडक़, या रास्ते या लोक अभिगम के अन्य स्थान का जिसका उपयोग करने के लिए या जिसमें प्रवेश करने के जनता के अन्य सदस्य, या १.(उसके किसी विभाग के) व्यक्ति जिसका वह व्यक्ति हो, अधिकारवान हों, उपयोग करना या उसमें प्रवेश करना; अथवा
(पांच) राज्य निधियों से पूर्णत: या अंशत: पोषित पूर्त या लोक प्रयोजन के लिए उपयोग में लाए जाने वाले या जनसाधारण के या १.(उसके किसी विभाग के) व्यक्तियों के, जिसका वह व्यक्ति हो, उपयोग के लिए समर्पित स्थान का, उपयोग करना या उसमें प्रवेश करना; अथवा
(छह) जनसाधारण या १.(उसके किसी विभाग के) व्यक्तियों के, जिसका वह व्यक्ति हो, फायदे के लिए सृष्ट किसी पूर्त न्यास के अधीन किसी फायदे का उपभोग करना; अथवा
(सात) किसी सार्वजनिक सवारी का उपयोग करना या उसमें प्रवेश करना; अथवा
(आठ) किसी भी परिक्षेत्र में, किसी निवास-परिसर का सन्निर्माण, अर्जन या अधिभोग करना; अथवा
(नौ) किसी ऐसी धर्मशाला, सराय या मुसाफिरखाने का, जो जनसाधारण या १.(उसके किसी विभाग के) व्यक्तियों के लिए, जिसका वह व्यक्ति हो, खुला हो उपयोग ऐसे व्यक्ति के रूप में करना; अथवा
(दस) किसी सामाजिक या धार्मिक रुढ, प्रथा या कर्म का अनुपालन या ३.(किसी धार्मिक, सामाजिक या सांस्कृतिक जलूस में भाग लेना या ऐसा जुलूस निकालना); अथवा
(ग्यारह) आभूषणों और अलंकारों का उपयोग करना।
२.(स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए, कोई निर्योग्यता लागू करना के अन्तर्गत अस्पृश्यता के आधार पर विभेद करना है।)
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१.१९७६ के अधिनियम सं० १०६ की धारा ६ द्वारा (१९-११-१९७६ से) कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित।
२.१९७६ के अधिनियम सं० १०६ की धारा ६ द्वारा (१९-११-१९७६ से) अंत:स्थापित।
३.१९७६ के अधिनियम सं० १०६ की धारा ६ द्वारा (१९-११-१९७६ से) किसी धार्मिक जलूस में भाग लेना शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
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