ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४०
धारा २१ :
निरीक्षक :
(१) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विहित अर्हताओं वाले ऐसे व्यक्तियों को जिन्हें वह ठीक समझती है ऐसे क्षेत्रों के लिए जो उन्हें, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा सौंपे जाएं,
निरीक्षक नियुक्त कर सकेगी।
(२) शक्तियां जो निरीक्षक द्वारा प्रयुक्त की जा सकेंगी और कर्तव्य जिनका उस द्वारा पालन किया जा सकेगा, ओषधि या १.(ओषधियों के वर्ग अथवा प्रसाधन सामग्रियां या प्रसाधन सामग्रियों के वर्ग) जिनके संबंध में तथा शर्त, परिसीमाएं या निर्बन्धन जिनके अध्यधीन ऐसी शक्तियों और कर्तव्यों का प्रयोग या पालन किया जा सकेगा ऐसे होंगे जैसे विहित किए जाएं।
(३) इस धारा के अधीन किसी भी ऐसे व्यक्ति को निरीक्षक नियुक्त नहीं किया जाएगा जिसका २.(ओषधियों या प्रसाधन सामग्रियों के आयात, विनिर्माण या विक्रय में) कोई वित्तीय हित हो।
(४) प्रत्येक निरीक्षक भारतीय दण्ड संहिता (१८६० का ४५) की धारा २१ के अर्थ में लोक सेवक समझा जाएगा और ३.(विहित अर्हताएं रखने वाले ऐसे प्राधिकारी) का शासकीय रूप से अधीनस्थ होगा जिसे उसे नियुक्त करने वाली सरकार इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे।
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१. १९६२ के अधिनियम सं० २१ की धारा १७ द्वारा (२७-७-१९६४ से) ओषधियों के वर्ग शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९६२ के अधिनियम सं० २१ की धारा १९ द्वारा (१-२-१९६१ मे) ओषधियों के विनिर्माण, आयात या विक्रय में शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित।
३. १९८२ के अधिनियम सं० ६८ की धारा १८ द्वारा (१-२-१९८३ से) अंत:स्थापित।
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