धारा २२ : १.(निरीक्षकों की शक्तियां :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४०
धारा २२ :
१.(निरीक्षकों की शक्तियां :
(१) धारा २३ के और इस निमित्त केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाए गए किन्हीं नियमों के उपबन्धों के अध्यधीन कोई निरीक्षक उस क्षेत्र की उन स्थानीय सीमाओं के अन्दर, जिनके लिए वह नियुक्त किया गया है-
२.(क) (एक) किसी ऐसे परिसर का, जिसमें कोई ओषधि या प्रसाधन सामग्री विनिर्मित की जा रही है, तथा उस ओषधि व प्रसाधन सामग्री के मानकीकरण और परख के लिए काम में लाए जाने वाले साधनों का निरीक्षण कर सकेगा;
(दो) किसी ऐसे परिसर का निरीक्षण कर सकेगा जिसमें किसी ओषधि या प्रसाधन सामग्री का विक्रय या स्टाक या विक्रय के लिए प्रदर्शन या प्रस्थापन या वितरण किया जा रहा है;
(ख) ऐसी किसी औषधि या प्रसाधन सामग्री के,-
(एक) जो विनिर्मित की जा रही है या विक्रय की जा रही है या स्टाक की जा रही है या विक्रयार्थ प्रदर्शित या प्रस्थापित की जा रही है या वितरित की जा रही है;
(दो) किसी ऐसे व्यक्ति से, जो ऐसी ओषधि व प्रसाधन सामग्री किसी क्रेता या किसी परेषिती को प्रवहित करने, परिदत्त करने या परिदत्त करने की तैयारी के अनुक्रम में है,
नमूने ले सकेगा:
(ग) सब युक्तियुक्त समयों पर ऐसी सहायता के साथ, यदि कोई हो, जिसे वह आवश्यक समझता है -
(एक) किसी ऐसे व्यक्ति की तलाशी ले सकेगा जिसकी बाबत उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उसने किसी ऐसी औषधि या प्रसाधन सामग्री को अपने शरीर पर छिपाकर रखा है, जिसकी बाबत इस अध्याय के अधीन अपराध किया जा चुका है या किया जा रहा है ; या
(दो) किसी ऐसे स्थान में प्रवेश कर सकेगा और तलाशी ले सकेगा जिसकी बाबत उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उसमें इस अध्याय के अधीन अपराध किया जा चुका है या किया जा रहा है ; या
(तीन) किसी ऐसे यान, जलयान, या अन्य सवारी को रोक सकेगा और उसकी तलाशी ले सकेगा, जिसकी बाबत उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उसका किसी ओषधि या प्रसाधन सामग्री को वहन करने के लिए उपयोग किया जा रहा है जिसके बारे में इस अध्याय के अधीन कोई अपराध किया जा चुका है या किया जा रहा है,
तथा उस व्यक्ति को जिसके कब्जे में वह ओषधि या प्रसाधन सामग्री है जिसके बारे में अपराध किया जा चुका है या किया जा रहा है, लिखित आदेश दे सकेगा कि वह ऐसी विनिर्दिष्ट कालावधि तक जो बीस दिन से अधिक की न होगी, ऐसी ओषधि या प्रसाधन सामग्री के किसी स्टाक का व्ययन न करे, अथवा जब तक कि अभिकथित अपराध ऐसा न हो कि वह त्रुटि ओषधि या प्रसाधन सामग्री के कब्जाधारी द्वारा दूर की जा सकती है, ऐसी औषधि या प्रसाधन सामग्री के स्टाक और ऐसे पदार्थ या वस्तु को अभिगृहीत कर सकेगा, जिसके जरिए वह अपराध किया जा चुका है या किया जा रहा है या जिसे ऐसे अपराध के किए जाने के लिए काम में लाया जाए।
३.(गग)४.( किसी व्यक्ति के पास या किसी स्थान, यान, जलयान या अन्य सवारी में, जो खंड (ग) में निर्दिष्ट है) पाए गए किसी अभिलेख, रजिस्टर, दस्तावेज या किसी अन्य भौतिक पदार्थ की परीक्षा कर सकेगा और यदि उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि वह इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए नियमों के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के किए जाने का साक्ष्य हो सकता है तो उसे अभिगृहीत कर सकेगा;)
५.(गगक) किसी व्यक्ति से किसी ऐसी औषधि या प्रसाधन सामग्री के, जिसकी बाबत उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि इस अध्याय के अधीन अपराध किया जा चुका है या किया जा रहा है, विक्रयार्थ या वितरणार्थ विनिर्माण, स्टाक रखने, विक्रयार्थ प्रदर्शन, विक्रयार्थ या वितरणार्थ प्रस्थापन से सम्बन्धित कोई अभिलेख, रजिस्टर या अन्य दस्तावेज पेश करने की अपेक्षा कर सकेगा;)
(घ) ऐसी अन्य शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा, जो इस अध्याय या तद्धीन बनाए गए किन्हीं नियमों के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए आवश्यक हों।
(२)६.( दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २)) के उपबंध इस अध्याय के अधीन किसी तलाशी या अभिग्रहण को यथाशक्य वैसे ही लागू होंगे जैसे वे उक्त संहिता की ७.(धारा ९४) के अधीन निकाले गए वारंट के प्राधिकार के अधीन की गई किसी तलाशी या अभिग्रहण को लागू होते हैं।
८.(२क) खंड (गग) के अधीन अभिगृहीत या खंड (गगक) के अधीन पेश किया गया प्रत्येक अभिलेख, रजिस्टर या अन्य दस्तावेज उस व्यक्ति को जिससे वे अभिगृहीत किए गए थे या जिसने उन्हें पेश किया था, उनकी प्रतिलिपियां या उनमें से उद्धरणों के लिए जाने के पश्चात, जो उस व्यक्ति द्वारा ऐसीरीति से जो विहित की जाए, प्रमाणित कर दिए गए हों, यथास्थिति, ऐसे अभिग्रहण या पेश किए जाने की तारीख के बीस दिन की अवधि के भीतर लौटा दिए जाएंगे। )
(३) यदि कोई व्यक्ति इस अध्याय के द्वारा या किसी निरीक्षक को प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में उसका ३.(जानबूझकर बाधित करेगा या किसी अभिलेख, रजिस्टर या अन्य दस्तावेज को पेश करने से तब जब उपधारा (१) के खंड (गगक) के अधीन उससे ऐसा करने की अपेक्षा की गई हो, इन्कार करेगा,) तो वह कारावास से, जो तीन वर्ष का हो सकेगा, जुर्माने से अथवा दोनों से दण्डनीय होगा।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० ११ की धारा ११ द्वारा धारा २२ के स्थान पर प्रतिस्थापित।
२. १९८२ के अधिनियम सं० ६८ की धारा १९ द्वारा (१-२-१९८३ से) खंड (क), (ख) और (ग) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
३. १९६० के अधिनियम सं० ३५ की धारा ५ द्वारा (१६-३-१९६१ से) अन्त:स्थापित।
४. १९८२ के अधिनियम सं० ६८ की धारा १९ द्वारा (१-२-१९८३ से) कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित । ७. ५. १९८२ के अधिनियम सं० ६८ की धारा १९ द्वारा (१-२-१९८३ से) अन्त:स्थापित।
६. १९८२ के अधिनियम सं० ६८ की धारा १९ द्वारा (१-२-१९८३ से) दंड प्रक्रिया संहिता, १८९८ के स्थान पर प्रतिस्थापित।
७. १९८२ के अधिनियम सं० ६८ की धारा १९ द्वारा (१-२-१९८३ से) धारा ९८ के स्थान पर प्रतिस्थापित।
८. १९८२ के अधिनियम सं० ६८ की धारा १९ द्वारा (१-२-१९८३ से) अन्त:स्थापित।
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।
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