ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४०
धारा ३६क :
१.(कतिपय अपराधों का संक्षिप्त विचार किया जाना :
दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७३ का २) में किसी बात के होते हए भी, तीन वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास से दण्डनीय, २.(इस अधिनियम के अधीन ऐसे सभी अपराधों का (धारा ३६कख के अधीन विशेष न्यायालय या सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय अपराधों को छोडक़र) जो धारा ३३झ की उपधारा (१) के खण्ड (ख) के अधीन अपराध से भिन्न हैं, प्रथम वर्ग के उस न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा, जो राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विशेष रूप से सशक्त किया गया है, या महानगर मजिस्ट्रेट द्वारा संक्षिप्त विचारण किया जाएगा तथा उक्त संहिता की धारा २६२ से २६५ तक की धाराओं के (जिसमें ये दोनों धाराएं सम्मिलित है) उपबन्ध यावशक्य किया गया है, या महानगर मजिस्ट्रेट द्वारा संक्षप्ति विचारण किया जाएगा तथा उक्त संहिता की धारा २६२ से २६५ तक की धाराओं के (जिसमें ये दोनों धाराएं सम्मिलित हैं) उपबन्ध यावत्शक्य ऐसे विचारण को लागू होंगे:
परन्तु इस धारा के अधीन संक्षिप्त विचारण में किसी दोषसिद्धि की दशा में, मजिस्ट्रेट के लिए यह विधिपूर्ण होगा कि वह एक वर्ष से अनधिक की अवधि के कारावास का दण्डादेश पारित करे:
परन्तु यह और कि जब इस धारा के अधीन संक्षिप्त विचारण के प्रारम्भ पर या उसके अनुक्रम में, मजिस्ट्रेट को यह प्रतीत होता है कि मामले की प्रकृति ऐसी है कि एक वर्ष से अधिक के कारावास का दण्डादेश पारित करना पड सकता है, अथवा किसी अन्य कारण से यह अवांछनीय है कि मामले का संक्षिप्त विवरण किया जाए, तो मजिस्ट्रेट पक्षकारों को सुनने के पश्चात उस आशय का आदेश अभिलिखित करेगा, और तत्पश्चात किसी ऐसे साक्षी को जिनकी परीक्षा की जा चुकी है, पुन: बुला सकेगा और मामले की उक्त संहिता द्वारा उपबंधित रीति से सुनवाई या पुन: सुनवाई के लिए अग्रसर हो सकेगा।)
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१. १९८२ के अधिनियम सं० ६८ की धारा ३९ द्वारा (१-२-१९८३ से) अन्त:स्थापित ।
२. २००८ के अधिनियम सं० २६ की धारा १९ द्वारा प्रतिस्थापित।
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