राष्ट्र-गौरव अपमान-निवारण अधिनियम १९७१
धारा ३क :
१.(दूसरी और पश्चातवर्ती दोषसिद्धियों पर वर्धित शास्ति :
जो कोई धारा २ या धारा ३ के अधीन किसी अपराध के लिए पहले से ही दोषसिद्ध किए जाने के पश्चात् ऐसे किसी अपराध के लिए पुन: दोषसिद्ध किया जाता है, तो वह दूसरे और प्रत्येक पश्चात्वर्ती अपराध के लिए कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम की नहीं होगी दंडनीय होगा ।)
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१. २००३ का अधिनियम सं० ३१ की धारा ३ द्वारा अंत:स्थापित ।
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