सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
अभिवचन :
प्ररुप संख्यांक ३० :
उपेक्षापूर्वक गाडी चलाने से हुई क्षतियां :
(शीर्षक)
उक्त वादी क ख यह कथन करता है कि -
१. वादी जूता बनाने वाला है और अपना कारबार ----------------- में करता है ।
प्रतिवादी ------------------ का व्यापारी है ।
२. ता. --------------- को लगभग ३ बजे अपराह्न में वादी कलकत्ता नगर में चौरंगी में दक्षिण की ओर जा रहा था । उसे मिडिलटन स्ट्रीट पार करनी पडी जो चौरंगी से समकोण पर मिलती है । जब वह उस स्ट्रीट को पार कर रहा था, और इससे ठीक पहले कि वह उसकी दूसरी ओर वाले पाद पथ पर पहुंचे, दो घोडों द्वारा खींची जाने वाली प्रतिवादी की गाडी, जो प्रतिवादी के सेवकों के भारसाधन और नियंत्रण में थी सहसा और किसी चेतावनी के बिना बडी तेजी से और खतरनाक गति से मिडलटन स्ट्रीट से चौरंगी में उपेक्षापूर्वक मुडक्ष । गाडी का बम वादी से टकराया और वादी नीचे गिर पडा और घोडों के पांव से कुचल गया ।
३. टक्कर लगने और गिरने और पावों के नीचे कुचले जाने से वादी की बार्इं बांह टूट गई और उसकी बगल में और पीठ पर नील पड गए और क्षति पहुंची और साथ ही उसे भीतरी क्षति भी हुई और उसके परिणामस्वरुप वादी चार मास तक रोगग्रस्त रहा और कष्ट भोगता रहा और अपने कारबार की देखभाल करने में असमर्थ रहा, और उसे भारी चिकित्सीय और अन्य व्यय उपगत करने पडे तथा उसे कारबार और लाभों की बडी हानि सहनी पडी ।
(जैसा प्ररुप संख्यांक १ के पैरा ४ और ५ में है, और वह अनुतोष जिसका दावा किया गया है ।)
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