सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५
धारा ७ :
अस्पृश्यता उद्भूत अन्य अपराधों के लिए दण्ड :
(१) जो कोई -
(क) किसी व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद १७ के अधीन अस्पृश्यता के अन्त होने से उसको प्रोद्भूत होने वाले किसी अधिकार का प्रयोग करने से निवारित करेगा, अथवा
(ख) किसी व्यक्ति को किसी ऐसे अधिकार के प्रयोग से उत्पीडित करेगा, क्षति पहुंचाएगा, क्षुब्ध करेगा, बाधा डालेगा या बाधा कारित करेगा या कारित करने का प्रयत्न करेगा या किसी व्यक्ति के, कोई ऐसा अधिकार प्रयोग करने के कारण उसे उत्पीडित करेगा, क्षति पहुंचाएगा, क्षुब्ध करेगा या उसका बहिष्कार करेगा, अथवा
(ग) किसी व्यक्ति या व्यक्ति-वर्ग या जनसाधारण को बोले गए या लिखित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरूपणों द्वारा या अन्यथा किसी भी रूप में अस्पृश्यता का आचरण करने के लिए उद्दीप्त या प्रोत्साहित करेगा, १.(अथवा)
१.(घ) अनुसूचित जाति के सदस्य का अस्पृश्यता के आधार पर अपमान करेगा, या अपमान करने का प्रयत्न करेगा;)
२.(वह कम से कम एक मास और अधिक से अधिक छह मास की अवधि के कारावास से और ऐसे जुर्माने से भी, जो कम से कम एक सौ
रुपए और अधिक से अधिक पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा।
३.(स्पष्टीकरण १) :
किसी व्यक्ति के बारे में यह समझा जाएगा कि वह अन्य व्यक्ति का बहिष्कार करता है, जब वह -
(क) ऐसे अन्य व्यक्ति को कोई गृह भूमि पट्टे पर देने से इन्कार करता है या ऐसे अन्य व्यक्ति को किसी गृह या भूमि के उपयोग या अधिभोग के लिए अनुज्ञा देने से इन्कार करता है या ऐसे अन्य व्यक्ति के साथ व्यवहार करने से, उसके लिए भाड़े पर काम करने से, या उसके साथ कारबार करने से या उसको कोई रूढिगत सेवा करने से या उससे कोई रूढिगत सेवा लेने से इन्कार करता है या उक्त बातों में से किसी को ऐसे निबन्धनों पर करने से इन्कार करता है, जिन पर ऐसी बातें कारबार से साधारण अनुक्रम से सामान्य: की जाती; अथवा
(ख) ऐसे सामाजिक, वृत्तिक या कारबारी सम्बन्धों से विरत रहता है, जैसे वह ऐसे अन्य व्यक्ति के साथ साधारणतया बनाए रखता।
१.(स्पष्टीकरण २ :
खण्ड (ग) के प्रयोजनों के लिए यदि कोई व्यक्ति
(एक) प्रत्यक्षत: या अप्रत्यक्षत: अस्पृश्यता का या किसी रूप में इसके आचरण का प्रचार करेगा; अथवा
(दो) किसी रूप में अस्पृश्यता के आचरण को, चाहे ऐतिहासिक, दार्शनिक या धार्मिक आधारों पर या जाति व्यवस्था की किसी परम्परा के आधार पर या किसी अन्य आधार पर न्यायोचित ठहराएगा,
तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि वह अस्पृश्यता के आचरण को उद्दीप्त या प्रोत्साहित करता है।)
१.(१क) जो कोई किसी व्यक्ति के शरीर या उसकी सम्पत्ति के विरुद्ध कोई अपराध उसके द्वारा किसी ऐसे अधिकार के, जो संविधान के अनुच्छेद १७ के अधीन अस्पृश्यता का अन्त करने के कारण उसे प्रोद्भूत हुआ है, प्रयोग किए जाने के प्रतिशोध के रूप में या बदला लेने की भावना से करेगा, वह, जहां अपराध दो वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास से दण्डनीय है, वहां, कम से कम दो वर्ष की अवधि के कारावास से और जुर्माने से भी, दण्डनीय होगा।)
(२) जो कोई इस आधार पर कि ऐसे व्यक्ति ने अस्पृश्यता का आचारण करने से इन्कार किया है या ऐसे व्यक्ति ने इस अधिनियम के उद्देश्यों को अग्रसर करने में कोई कार्य किया है, -
(एक) अपने समुदाय के या उसके किसी विभाग के किसी व्यक्ति को किसी ऐसे अधिकार या विशोषाधिकार से वंचित करेगा जिसके लिए ऐसा व्यक्ति ऐसे समुदाय या विभाग के सदस्य के तौर पर हकदार हो, अथवा
(दो) ऐसे व्यक्ति को जातिच्युत करने में कोई भाग लेगा,
२.(वह कम से कम एक मास और अधिक से अधिक छह मास की अवधि के कारावास से और ऐसे जुर्माने से भी, जो कम से कम एक सौ रुपए और अधिक से अधिक पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा) ।
---------
१.१९७६ के अधिनियम सं० १०६ की धारा ९ द्वारा (१९-११-१९७६ मे) अन्तःस्थापित।
२. १९७६ के अधिनियम सं० १०६ की धारा ९ द्वारा (१९-११-१९७६ से) कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित।
३.१९७६ के अधिनियम सं० १०६ की धारा ९ द्वारा (१९-११-१९७६ से) पुन:संख्यांकित ।
INSTALL Android APP
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।