सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५
धारा ७क :
१.(विधिविरुद्ध अनिवार्य श्रम कब अस्पृश्यता का आचरण समझा जाएगा :
(१) जो कोई किसी व्यक्ति को सफाई करने या बुहारने या कोई पशु शव हटाने या किसी पशु की खाल खींचने या नाल काटने या इसी प्रकार का कोई अन्य काम करने के लिए अस्पृश्यता के आधार पर मजबूर करेगा, तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने अस्पृश्यता से उद्भूत निर्योग्यता को लागू किया है।
(२) जिस किसी के बारे में उपधारा (१) के अधीन यह समझा जाता है कि उसने अस्पृश्यता से उद्भूत निर्योग्यता को लागू किया है, वह कम से कम तीन मास और अधिक से अधिक छह मास की अवधि के कारावास से और जुर्माने से भी, जो कि कम से कम एक सौ रुपए और अधिक से अधिक पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए मजबूर करने के अन्तर्गत सामाजिक या आर्थिक बहिष्कार करने की धमकी भी है ।)
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१.१९७६ के अधिनियम सं० १०६ की धारा १० द्वारा (१९-११-१९७६ मे) अन्तःस्थापित।
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