सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
धारा ५२ :
विधिक प्रतिनिधि के विरुद्ध डिक्री का प्रवर्तन :
१) जहां किसी मृत व्यक्ति के विधिक प्रतिनिधि के रुप में किसी पक्षकार के विरुद्ध कोई डिक्री पारित की गई है और डिक्री मृतक की सम्पत्ति में से धन संदत्त किए जाने के लिए है और वहां वह ऐसी किसी भी सम्पत्ति की कुर्की और विक्रय द्वारा निष्पादित की जा सकेगी ।
२) जहां निर्णीत-ऋणी के कब्जे में ऐसी कोई सम्पत्ति बाकी न बची हो और वह न्यायालय का यह समाधान करने में असफल रहता है कि उसने मृतक की उस सम्पत्ति के परिणाम तक, जिसके सम्बन्ध में वह न्यायालय का समाधान करने में असफल रहा है, उसी रीति से निष्पादित की जा सकेगी मानो वह डिक्री वैयक्तिक रुप से उसके विरुद्ध पारित की गई थी ।
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