आपदा प्रबन्धन अधिनियम २००५
धारा ६६ :
प्रतिपूर्ति का संदाय :
१) जब भी धारा ६५ की उपधारा (१) में निर्दिष्ट कोई समिति, प्राधिकरण या अधिकारी, उस धारा के अनुसरण में किसी परिसर की अध्यपेक्षा करता है वहां हितबद्ध व्यक्तियों को प्रतिपूर्ति का संदाय किया जाएगा जिसकी रकम निम्नलिखित को ध्यान में रखते हुए अवधारित की जाएगी, अर्थात :-
एक) परिसर के संबंध में संदेय किराया, या यदि इस प्रकार कोई किराया संदेय नहीं है तो उसके परिक्षेत्र में उसके समान परिसर के लिए संदेय किराया;
दो) यदि परिसर की अध्यपेक्षा के परिणामस्वरुप हितबद्ध व्यक्ति अपने आवास या कारबार के स्थान में परिवर्तन करने के लिए बाध्य होता है तो ऐसे परिवर्तन से अनुषंगी युक्तियुक्त व्यय (यदि कोई हों) :
परंतु जहां कोई हितबद्ध व्यक्ति इस प्रकार अवधारित प्रतिपूर्ति की रकम से व्यथित होकर, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार को तीस दिन के भीतर, मामले को किसी मध्यस्थ को निर्दिष्ट करने के लिए आवेदन करता है तो संदाय की जाने वाली प्रतिपूर्ति की रकम वह होगी जो, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त नियुक्त मध्यस्थ अवधारित करे :
परंतु यह और कि जहां प्रतिपूर्ति को प्राप्त करने के लिए हकदारी के संबंध में या प्रतिपूर्ति रकम के प्रभाजन के संबंध में कोई विवाद है वहां विवाद को, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त नियुक्त किसी मध्यस्थ को अवधारण के लिए निर्दिष्ट किया जाएगा और उसे ऐसे मध्यस्थ के निर्णय के अनुसार अवधारित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण :
इस उपधारा में हितबद्ध व्यक्ति पद से ऐसा व्यक्ति अभिप्रत है जो धारा ६५ के अधीन अध्यपेक्षित परिसर पर, अध्यपेक्षा से तुरंत पूर्व वास्तविक रुप में काबिज था, या उस दशा में जहां कोई व्यक्ति इस प्रकार वास्तविक रुप में काबिज नहीं था वहां ऐसे परिसर का स्वामी अभिप्रेत है ।
२) जब कभी धारा ६५ की उपधारा (१) में निर्दिष्ट कोई समिति, प्राधिकरण या अधिकारी उस धारा के अनुसरण में किसी यान की अध्यपेक्षा करता है तो उसके स्वामी को प्रतिकर का संदाय किया जाएगा जिसकी रकम, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा ऐसे यान के किराए के लिए उस परिक्षेत्र में विद्यमान भाडा या दरों के आधार पर अवधारित की जाएगी :
परन्तु जहां ऐसे अवधारित किए गए प्रतिकर की रकम से व्यथित ऐसे यान का स्वामी विहित समय के भीतर मामले को किसी मध्यस्थ को निर्दिष्ट करने के लिए, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार को आवेदन करता है तो संदत्त की जाने वाली प्रतिकर की रकम वह होगी जो, इस निमित्त, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त मध्यस्थ अवधारित करे :
परन्तु यह और कि जहां अध्यपेक्षा किए जाने के ठीक पूर्व यान या जलयान, अवक्रय करार के कारण स्वामी से भिन्न किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे में था वहां अध्यपेक्षा की बाबत संदेय कुल प्रतिकर के रुप में, इस उपधारा के अधीन अवधारित रकम उस व्यक्ति और स्वामी के बीच ऐसी रीति में प्रभाजित की जाएगी जिसमें वे सहमत हों और करार के व्यतिक्रम में ऐसी रीति से प्रभाजित की जाएगी जो, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त मध्यस्थ इस निमित्त विनिश्चय करे ।
#DM Act 2005 Hindi section 66 #section 66 DM Act 2005 Hindi
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