आदेश १ नियम १०-क : न्यायालय की उसको संबोधित करने के..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम १०-क : १.(न्यायालय की उसको संबोधित करने के लिए किसी प्लीडर से अनुरोध करने की शक्ति : यदि किसी वाद या कार्यवाही में विवाद्य विषय पर न्यायालय के विनिश्चय का किसी हित पर प्रभाव पडना संभव है और उस पक्षकार का जो ऐसा हित रखता… more »
आदेश १ नियम १० : गलत वादी के नाम से वाद :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम १० : गलत वादी के नाम से वाद : १) जहां कोई वाद वादी के रुप में गलत व्यक्ति के नाम से संस्थित किया गया है, या जहां यह संदेहपूर्ण है कि वह सही वादी के नाम में संस्थित किया गया है वहां यदि वाद के किसी भी प्रक्रम में न्यायालय… more »
आदेश १ नियम ९ : कुसंयोजन और असंयोजन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ९ : कुसंयोजन और असंयोजन : कोई भी वाद पक्षकारों के कुसंयोजन या असंयोजन के कारण विफल नहीं होगा और न्यायालय हर वाद में विवादग्रस्त विषय का निपटारा वहां तक कर सकेगा जहां तक उन पक्षकारों के, जो उसके वस्तुत: समक्ष है, अधिकारों… more »
आदेश १ नियम ८-क : न्यायालय की कार्यवाही में राय देने या..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ८-क : १.(न्यायालय की कार्यवाही में राय देने या भाग लेने के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के निकाय को अनुज्ञात करने की शक्ति : यदि वाद का विचारण करते समय न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का… more »
आदेश १ नियम ८ : एक ही हित में सभी व्यक्तियों की ओर..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ८ : १.( एक ही हित में सभी व्यक्तियों की ओर से एक व्यक्ति वाद ला सकेगा या प्रतिरक्षा कर सकेगा : १) जहां एक ही वाद में एक ही हित रखने वाले बहुत से व्यक्ति है वहां,- क) इस प्रकार हितबद्ध सभी व्यक्तियों की ओर से या उनके… more »
आदेश १ नियम ७ : जब वादी को संदेह है कि किससे प्रतितोष..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ७ : जब वादी को संदेह है कि किससे प्रतितोष चाहा गया है : जहां वादी को इस बारे में संदेह है कि वह व्यक्ति कौन है, जिससे प्रतितोष अभिप्राप्त करने का वह हकदार है वहां वह दो या अधिक प्रतिवादियों को इसलिए संयोजित कर सकेगा कि… more »
आदेश १ नियम ६ : एक ही संविदा के आधार पर दायी पक्षकारों..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ६ : एक ही संविदा के आधार पर दायी पक्षकारों का संयोजन : वादी किसी भी एक संविदा के आधार पर पृथकृत : या संयुक्तत: और पृथक्त: दायी सभी या किन्हीं व्यक्तियों को, जिनके अन्तर्गत विनिमय-पत्रों, हुण्डियों और वचनपत्रों के पक्षकार… more »
आदेश १ नियम ५ : दावाकृत सम्पूर्ण अनुतोष में प्रतिवादी..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ५ : दावाकृत सम्पूर्ण अनुतोष में प्रतिवादी का हितबद्ध होना आवश्यक नहीं है : यह आवश्यक नहीं होगा कि हर प्रतिवादी अपने विरुद्ध किसी वाद में दावाकृत सम्पूर्ण अनुतोष के बारे में हितबद्ध हो । INSTALL Android APP * नोट… more »
आदेश १ नियम ४ : न्यायालय, संयुक्त पक्षकारों में से एक..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ४ : न्यायालय, संयुक्त पक्षकारों में से एक या अधिक के पक्ष में या उनके विरुद्ध निर्णय दे सकेगा : क) वादियों में से जो एक या अधिक वादी अनुतोष के हकदार पाए जाएं उसके या उनके पक्ष में, उस अनुतोष के लिए, जिसके वह या वे हकदार… more »
आदेश १ नियम ३-क : जहां प्रतिवादियों के संयोजन से उलझन..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ३-क : १.(जहां प्रतिवादियों के संयोजन से उलझन या विचारण में विलम्ब हो सकता है वहां पृथक् विचारण का आदेश देने की शक्ति : जहां न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि प्रतिवादियों के संयोजन से वाद के विचारण में उलझन या विलम्ब हो… more »