Category: "सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८"
आदेशिका : प्ररुप संख्यांक १ : वाद निपटारे के लिए समन..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ परिशिष्ट ख : आदेशिका : प्ररुप संख्यांक १ : वाद निपटारे के लिए समन (आदेश ५ के नियम १ और ५) : (शीर्षक) प्रेषिती - ---------- (नाम, वर्णन और निवास-स्थान) --------- ने आपके विरुद्ध ------------- के लिए वाद संस्थित किया है । आपको… more »
लिखित कथन : प्ररुप संख्यांक १६ : विशिष्टियां (आदेश ६ का नियम..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ परिशिष्ट क : लिखित कथन प्ररुप संख्यांक १६ : विशिष्टियां (आदेश ६ का नियम ५) (वाद का शीर्षक) विशिष्टियां : ता. ---------- के आदेश के अनुसरण में परिदत्त (यहां वे बातें लिखिए जिनके बारे में विशिष्टियां देने का आदेश दिया गया है)… more »
लिखित कथन : प्ररुप संख्यांक १५ : सत्यनिष्ठ प्ररुप में वसीयत..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ परिशिष्ट क : लिखित कथन प्ररुप संख्यांक १५ : सत्यनिष्ठ प्ररुप में वसीयत का प्रोबेट : १. मृतक की उक्त बिल और १.(क्रोडपत्र इंडियन सक्सेशन ऐक्ट १८६५ (१८६५ का १०)) या १.(या हिन्दू विल्ज ऐक्ट १८७० (१८७० का २१)) के उपबन्धों के… more »
लिखित कथन : प्ररुप संख्यांक १४ : धनीय वसीयतदार द्वारा लाए गए..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ परिशिष्ट क : लिखित कथन प्ररुप संख्यांक १४ : धनीय वसीयतदार द्वारा लाए गए प्रशासन वाद में प्रतिरक्षा : १. क ख की विल में ऋृण-भार अन्तर्विष्ट था । जब उसकी मृत्यु हुई तब वह दिवालिया था । अपनी मृत्यु के समय वह कुछ स्थावर सम्पत्ति… more »
लिखित कथन : प्ररुप संख्यांक १३ : विनिर्दिष्ट पालन के वाद..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ परिशिष्ट क : लिखित कथन प्ररुप संख्यांक १३ : विनिर्दिष्ट पालन के वाद में प्रतिरक्षा : १. प्रतिवादी ने करार नहीं किया था । २. क ख प्रतिवादी का अभिकर्ता नहीं था (यदि ऐसा अभिकथन वादी द्वारा किया गया हो।) ३. वादी ने निम्नलिखित… more »
लिखित कथन : प्ररुप संख्यांक १२ : मोचन के वाद में..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ परिशिष्ट क : लिखित कथन प्ररुप संख्यांक १२ : मोचन के वाद में प्रतिरक्षा : १. वादी का मोचन अधिकार १.(इण्डियना लिमिटेशन ऐक्ट १८७७ (१८७७ का १५) की द्वितीय अनुसूची के अनुच्छेद ------- द्वारा वर्जित है । २. वादी ने सम्पत्ति में… more »
लिखित कथन : प्ररुप संख्यांक ११ : पुरोबन्ध के वाद में..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ परिशिष्ट क : लिखित कथन प्ररुप संख्यांक ११ : पुरोबन्ध के वाद में प्रतिरक्षा : १. प्रतिवादी ने बन्धक निष्पादित नहीं किया था । २. बन्धक वादी को अन्तरित नहीं किया गया था (यदि एक से अधिक अन्तरणों का अभिकथन किया गया है तो यह बताइए… more »
लिखित कथन : प्ररुप संख्यांक १० : न्यूसेंस सम्बन्धी वादों में..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ परिशिष्ट क : लिखित कथन प्ररुप संख्यांक १० : न्यूसेंस सम्बन्धी वादों में प्रतिरक्षा : १. वादी के प्रकाश मार्ग प्राचीन नहीं है (या उसके अन्य अभिकथित चिरभोगधिकारों का प्रत्याख्यान कीजिए ।) २. वादी के प्रकाश में प्रतिवादी के… more »
लिखित कथन : प्ररुप संख्यांक ९ : व्यापार-चिन्ह के अतिलंघन..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ परिशिष्ट क : लिखित कथन प्ररुप संख्यांक ९ : व्यापार-चिन्ह के अतिलंघन के वादों में प्रतिरक्षा : १. व्यापार-चिन्ह वादी का नहीं है । २. अधिकथित व्यापार-चिन्ह व्यापार -चिन्ह नहीं है । ३. प्रतिवादी ने अतिलंघन नहीं किया । INSTALL… more »
लिखित कथन : प्ररुप संख्यांक ८ : प्रतिलिप्यधिकार के अतिलंघन..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ परिशिष्ट क : लिखित कथन प्ररुप संख्यांक ८ : प्रतिलिप्यधिकार के अतिलंघन के वादों में प्रतिरक्षा : १. वादी लेखक (समनुदेशिती, इत्यादि) नहीं है । २. पुस्तक रजिस्ट्रीकृत नहीं थी । ३. प्रतिवादी ने अतिलंघन नहीं किया । INSTALL Android… more »