धारा ९८ : जहां कोई अपील दो या अधिक न्यायाधीशों द्वारा..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ९८ : जहां कोई अपील दो या अधिक न्यायाधीशों द्वारा सुनी जाए वहां विनिश्चय : १) जहां कोई अपील दो या अधिक न्यायाधीशों के न्यायपीठ द्वारा सुनी जाती है वहां अपील का विनिश्चय ऐसे न्यायाधीशों की या ऐसे न्यायाधीशों की बहुसंख्या… more »
धारा ९७ : जहां प्रारम्भिक डिक्री की अपील नहीं की ..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ९७ : जहां प्रारम्भिक डिक्री की अपील नहीं की गई है वहां अन्तिम डिक्री की अपील : जहां इस संहिता के प्रारम्भ के पश्चात् पारित प्रारम्भिक डिक्री से व्यथित कोई पक्षकार ऐसी डिक्री की अपील नहीं करता है वहां वह उसकी शुद्धता के… more »
धारा ९६ : मूल डिक्री की अपील :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ भाग ७ अपीलें मूल डिक्रियों की अपीलें धारा ९६ : मूल डिक्री की अपील : १) वहां के सिवाय जहां इस संहिता के पाठ में या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा अभिव्यक्त रुप से अन्यथा उपबन्धित है, ऐसी हर डिक्री की, जो आरम्भिक… more »
धारा ९५ : अपर्याप्त आधारों पर गिरफ्तारी, कुर्की या..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ९५ : अपर्याप्त आधारों पर गिरफ्तारी, कुर्की या व्यादेश अभिप्राप्त करने के लिए प्रतिकर : १) जहां किसी वाद में, जिसमें इसके ठीक पहले की धारा के अधीन कोई गिरफ्तारी या कुर्की कर ली गई है या अस्थायी व्यादेश दिया गया है - क)… more »
धारा ९४ : अनुपूरक कार्यवाहियां :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ भाग ६ अनुपूरक कार्यवाहियां धारा ९४ : अनुपूरक कार्यवाहियां : न्यायालय न्यास के उद्देश्यों का विफल किया जाना निवारित करने के लिए उस दशा में जिसमें ऐसा करना विहित हो - क) प्रतिवादी को गिरफ्तार करने के लिए और न्यायालय के सामने… more »
धारा ९३ : प्रेसिडेंसी नगरों से बाहर महाधिवक्ता की..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ९३ : प्रेसिडेंसी नगरों से बाहर महाधिवक्ता की शक्तियों का प्रयोग : महाधिवक्ता को धारा ९१ और धारा ९२ द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग प्रेसिडेंसी नगरों से बाहर राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी से कलक्टर या ऐसा अधिकारी भी कर… more »
धारा ९२ : लोक पूर्त कार्य :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ९२ : १.(लोक पूर्त कार्य : १) पूर्त या धार्मिक प्रकृति के लोक प्रयोजनों के लिए सृष्ट किसी अभिव्यक्त या आन्वयिक न्यास के किसी अभिकथित भंग के मामले में, या जहां ऐसे किसी न्यास के प्रशासन के लिए न्यायालय का निदेश आवश्यक समझा… more »
धारा ९१ : लोक न्यूसेंस और लोक पर प्रभाव डालने..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ १.(लोक न्यूसेंस और लोक पर प्रभाव डालने वाले अन्य दोषपूर्ण कार्य) धारा ९१ : लोक न्यूसेंस और लोक पर प्रभाव डालने वाले अन्य दोषपूर्ण कार्य : २.(१) लोक न्यूसेंस या अन्य ऐसे दोषपूर्ण कार्य की दशा में जिससे लोक पर प्रभाव पडता है या… more »
धारा ९० : न्यायालय की राय के लिए मामले का कथन..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ विशेष मामला धारा ९० : न्यायालय की राय के लिए मामले का कथन करने की शक्ति : जहां कोई व्यक्ति न्यायालय की राय के लिए किसी मामले का कथन करने के लिए लिखित करार कर ले वहां न्यायालय विहित रीति से उसका विचारण और अवधारण करेगा ।… more »
धारा ८९ : न्यायालय के बाहर विवादों का निपटारा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ भाग ५ विशेष कार्यवाहियां माध्यस्थम् धारा ८९ : १.(न्यायालय के बाहर विवादों का निपटारा : १) जहां न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि किसी समझौते के ऐसे तत्व विद्यमान है, जो पक्षकारों को स्वीकार्य हो सकते है वहां न्यायालय समझौते के… more »