धारा २० : अन्य वाद वहां संस्थित किए जा सकेंगे जहां..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा २० : अन्य वाद वहां संस्थित किए जा सकेंगे जहां प्रतिवादी निवास करते है या वाद-हेतुक पैदा होता है : पूर्वोक्त परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, हर वाद ऐसे न्यायालय में संस्थित किया जाएगा जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर… more »
धारा १९ : शरीर या जंगम सम्पत्ति के प्रति किए गए दोषों..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा १९ : शरीर या जंगम सम्पत्ति के प्रति किए गए दोषों के लिए प्रतिकर के लिए वाद : जहां वाद शरीर या जंगम सम्पत्ति के प्रति किए गए दोष के लिए प्रतिकर के लिए है वहां यदि दोष एक न्यायालय की अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर… more »
धारा १८ : जहां न्यायालयों की अधिकारिता की स्थानीय..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा १८ : जहां न्यायालयों की अधिकारिता की स्थानीय सीमाएं अनिश्चित है वहां वाद के संस्थित किए जाने का स्थान : १) जहां यह अभिकथन किया जाता है कि यह अनिश्चित है कि कोई स्थावर सम्पत्ति दो या अधिक न्यायालयों में से किस न्यायालय की… more »
धारा १७ : विभिन्न न्यायालयों की अधिकारिता के भीतर..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा १७ : विभिन्न न्यायालयों की अधिकारिता के भीतर स्थित स्थावर सम्पत्ति के लिए वाद : जहां वाद विभिन्न न्यायालयों की अधिकारिता के भीतर स्थित स्थावर सम्पत्ति के सम्बन्ध में अनुतोष की या ऐसी सम्पत्ति के लिए किए गए दोष के लिए… more »
धारा १६ : वादों का वहां संस्थित किया जाना जहां विषय..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा १६ : वादों का वहां संस्थित किया जाना जहां विषय-वस्तु स्थित है : किसी विधि द्वारा विहित धन-सम्बन्धी या अन्य परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, वे वाद जो - क) भाटक या लाभों के सहित या रहित स्थावर सम्पत्ति के प्रत्युद्धरण के लिए,… more »
धारा १५ : वह न्यायालय जिसमें वाद संस्थित किया जाए :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ वाद करने का स्थान : धारा १५ : वह न्यायालय जिसमें वाद संस्थित किया जाए : हर वाद उस निम्नतम श्रेणी के न्यायालय में संस्थित किया जाएगा जो उसका विचारण करने के लिए सक्षम है । INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर… more »
धारा १४ : विदेशी निर्णयों के बारे में उपधारणा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा १४ : विदेशी निर्णयों के बारे में उपधारणा : न्यायालय किसी ऐसे दस्तावेज के पेश किए जाने पर जो विदेशी निर्णय की प्रमाणित प्रति होना तात्पर्यित है यदि अभिलेख से इसके प्रतिकूल प्रतीत नहीं होता है तो यह उपधारणा करेगा कि ऐसा… more »
धारा १३ : विदेशी निर्णय कब निश्चयक नहीं होगा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा १३ : विदेशी निर्णय कब निश्चयक नहीं होगा : विदेशी निर्णय उसके द्वारा उन्हीं पक्षकारों के बीच या उसी हक के अधीन मुकदमा करने वाले ऐसे पक्षकारों के बीच, जिनसे व्युत्पन्न अधिकार के अधीन वे या उनमें से कोई दावा करते है,… more »
धारा १२ : अतिरिक्त वाद का वर्जन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा १२ : अतिरिक्त वाद का वर्जन : जहां वादी किसी विशिष्ट वाद-हेतुक के सम्बन्ध में अतिरिक्त वाद संस्थित करने से नियमों द्वारा प्रवारित है वहां वह किसी ऐसे न्यायालय में जिसे वह संहिता लागू है, कोई वाद ऐसे वाद-हेतुक में संस्थित… more »
धारा ११ : पूर्व-न्याय :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ११ : पूर्व-न्याय : कोई भी न्यायालय किसी ऐसे वाद या विवाद्यक का विचारण नहीं करेगा जिसमें प्रत्यक्षत: और सारत: विवाद्य-विषय उसी हक के अधीन मुकदमा करने वाले उन्हीं पक्षकारों के बीच के या ऐसे पक्षकारों के बीच के जिनसे… more »