Categories: "Indian Laws in Hindi"
धारा ५६ : धन की डिक्री के निष्पादन में स्त्रियों की..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ५६ : धन की डिक्री के निष्पादन में स्त्रियों की गिरफ्तारी या निरोध का निषेध : इस भाग में किसी बात के होते हुए भी, न्यायालय धन के संदाय की डिक्री के निष्पादन में स्त्री को गिरफ्तार करने और सिविल कारगार में निरुद्ध करने के… more »
धारा ५५ : गिरफ्तारी और निरोध :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ५५ : गिरफ्तारी और निरोध : १) निर्णीत-ऋणी डिक्री के निष्पादन में किसी भी समय और किसी भी दिन गिरफ्तार किया जा सकेगा और यथासाध्य शीघ्रता से न्यायालय के समक्ष लाया जाएगा और वह उस जिले के सिविल कारागार में, जिसमें निरोध का… more »
धारा ५४ : सम्पदा का विभाजन या अंश का पृथक्करण :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ५४ : सम्पदा का विभाजन या अंश का पृथक्करण : जहां डिक्री किसी ऐसी अविभक्त सम्पदा के विभाजन के लिए है, जिस पर सरकार को दिए जाने के लिए राजस्व निर्धारित है, या ऐसी सम्पदा के अंश के पृथक् कब्जे के लिए है वहां सम्पदा का विभाजन… more »
धारा ५३ : पैतृक सम्पत्ति का दायित्व :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ५३ : पैतृक सम्पत्ति का दायित्व : पुत्र या अन्य वंशज के हाथ में की ऐसी सम्पत्ति के बारे में, जो मृत पूर्वज के ऐसे ऋण के चुकाने के लिए हिन्दू विधि के अधीन दायी है, जिसके लिए डिक्री पारित की जा चुकी है, धारा ५० और धारा ५२… more »
धारा ५२ : विधिक प्रतिनिधि के विरुद्ध डिक्री का प्रवर्तन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ५२ : विधिक प्रतिनिधि के विरुद्ध डिक्री का प्रवर्तन : १) जहां किसी मृत व्यक्ति के विधिक प्रतिनिधि के रुप में किसी पक्षकार के विरुद्ध कोई डिक्री पारित की गई है और डिक्री मृतक की सम्पत्ति में से धन संदत्त किए जाने के लिए है… more »
धारा ५१ : निष्पादन कराने की न्यायालय की शक्तियां :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ निष्पादन-प्रक्रिया धारा ५१ : निष्पादन कराने की न्यायालय की शक्तियां : ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, जो विहित की जाए, न्यायालय डिक्रीदार के आवेदन पर आदेश दे सकेगा कि डिक्री का निष्पान - क) विनिर्दिष्ट रुप से… more »
धारा ५० : विधिक प्रतिनिधि :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ५० : विधिक प्रतिनिधि : १) जहां डिक्री के पूर्णत: तुष्ट किए जाने से पहले निर्णीत-ऋणी की मृत्यु हो जाती है वहां डिक्री का धारक डिक्री पारित करने वाले न्यायालय में आवेदन कर सकेगा कि वह उसका निष्पादन मृतक के विधिक प्रतिनिधि… more »
धारा ४९ : अन्तरिती :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ अन्तरिती और विधिक प्रतिनिधि धारा ४९ : अन्तरिती : डिक्री का हर अन्तरिती, उसे उन साम्याओं के (यदि कोई हों) अधीन रहते हुए धारण करेगा जिन्हें निर्णीत-ऋणी मूल डिक्रीदार के विरुद्ध प्रवर्तित करा सकता था । INSTALL Android APP *… more »
धारा ४८ : कुछ मामलों में निष्पादन वर्जित :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ निष्पादन के लिए समय की सीमा धारा ४८ : कुछ मामलों में निष्पादन वर्जित : परिसीमा अधिनियम, १९६३ (१९६३ का ३६) की धारा २८ द्वारा (१ जनवरी, १९६४ से) निरसित । INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी… more »
धारा ४७ : प्रश्न जिनका अवधारण डिक्री का निष्पादन...
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ४७ : प्रश्न जिनका अवधारण डिक्री का निष्पादन करने वाला न्यायालय करेगा : १) वे सभी प्रश्न, जो उस वाद के पक्षकारों के या उनके प्रतिनिधियों के बीच पैदा होते है, जिसमें डिक्री पारित की गई थी और जो डिक्री के निष्पादन, उन्मोचन… more »